स्मरण : बेनीपुरी : शब्द चित्रों का अप्रतिम चितेरा

Last Updated 07 Sep 2020 02:03:56 AM IST

रामबृक्ष बेनीपुरी जी के गद्य की सबसे खूबसूरत बात यह थी उसकी भाषा परिवेश, विधा और पात्र के अनुसार अपना चेहरा या आकार ले लेती थी।


स्मरण : बेनीपुरी : शब्द चित्रों का अप्रतिम चितेरा

बहुमुखी प्रतिभा वाले बेनीपुरी-स्वतंत्रता सेनानी, हिंदुस्तान में समाजवादी विचारधारा के प्रथम स्तम्भ? गरीबों-किसानों का मसीहा या सामाजिक चिंतक?  मुजफ्फरपुर के एक सामान्य किसान परिवार में जन्मा का एक लड़का, जिसके सर से बचपन में ही मां-बाप का साया उठ गया। परवरिश ननिहाल में हुई। आजादी की लड़ाई में गांधी जी के आह्वान पर बेनीपुरी ने स्कूल छोड़ दिया। दिसम्बर 1920 में मुजफ्फरपुर के तिलक मैदान में, गांधी जी के सामने इन्होंने असरदार भाषण दिया।
बेनीपुरी शुरू से ही समाजवादी विचारधारा से प्रभावित थे। वे समाज को समता के आधार पर संगठित करना चाहते थे। इनकी समाजवादी विचारधारा, इनकी लेखनी-माटी की मूरतें एवं गेहूं और गुलाब में साफ झलकती है। हिंदुस्तान में समाजवादी विचारधारा की नींव 1932 में पटना में ही पड़ चुकी थी, जब बेनीपुरी, अब्दुल बारी, गंगा शरण सिंह, अवधेर सिंह, योगेंद्र शुक्ल और रामनन्दन मिश्र जैसों ने कांग्रेस के भीतर ही इस विचारधारा की पहचान बनाई। 1934 में अखिल भारतीय स्तर पर बॉम्बे में समाजवादी दल की स्थापना हुई और बेनीपुरी पदाधिकारी बने। बेनीपुरी पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद और जयप्रकाश नारायण का भी काफी प्रभाव पड़ा। अपनी लेखनी से अंग्रेजी हुकूमत पर वार करने बेनीपुरी को हमेशा जेल मिली, लेकिन बेनीपुरी के व्यक्तित्व और कर्मठता का एक और रूप दुनिया को 1934 के भूकंप के दिखा। इनके कुशल आपदा प्रबंधन की चर्चा बड़े स्तर पर शुरू हो गई। समूचा उत्तर बिहार, खासकर मुजफ्फरपुर और दरभंगा जिला खास कर प्रभावित हुआ था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद, रामदयालु बाबू और बेनीपुरी के अपील पर गुरु देव रविंद्र नाथ टैगोर, पंडित मदन मोहन मालवीय, सरदार पटेल, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी और महात्मा गांधी जैसी शख्सियतें बिहार में सहायता के लिए आए।  डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में बिहार में सहायता समिति बनी और बेनीपुरी जी इसके सचिव बने। जनवरी 1934 को पंडित नेहरू के साथ बेनीपुरी ने करीब दो सप्ताह तक उत्तरी बिहार में कई जगहों का दौरा किया और फिर मार्च 1934 में महात्मा गांधी के साथ राहत और सहायता में लग गए। उसी दौरान महात्मा गांधी ने भरदुआ चौर से पानी निकासी में श्रमदान किया।  किसान आंदोलन को गति देने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। सकरा में स्वामी जी के विरोध के बावजूद किसान सभा में बेनीपुरी जी के जमींदारी प्रथा को समाप्त करने का प्रस्ताव स्वामी जी के विरोध के बावजूद एकमत से पास हुआ। कांग्रेस में गांधी जी के अपील पर आने वाले बेनीपुरी, सुभाष चंद्र बोस के उतने ही बड़े प्रसंशक थे। बेनीपुरी ने पटना और अन्य जगहों पर नेताजी के साथ सभाओं में अध्यक्षता भी की।  देश की आजादी के बाद प्रथम आम चुनाव में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के सदस्यगण कांग्रेस के खिलाफ उतरे। जेपी ने इंग्लैंड के तर्ज पर बिहार में शैडो कैबिनेट बना कर चुनाव लड़ा। बेनीपुरी शैडो मुख्यमंत्री थे। बिहार में सोशलिस्ट पार्टी के सभी नेता चुनाव हार गए। आचार्य नरेंद्र देव भी  बनारस से लोक सभा चुनाव हार गए। खुद नेहरू जी भी आचार्य जी की हार से विचलित होकर बोले की यह प्रजातंत्र की हार है।  चुनाव में हार के बाद समाजवादियों में टूट शुरू हो गई। जेपी ने खुद को राजनीती से अलग कर दिया तो लोहिया जी, अच्युत पटवर्धन, अशोक मेहता और मीनु मसानी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। 1957 में बेनीपुरी जी विधायक तो बने, लेकिन समाजवादियों के बिखराव ने उन्हें बुरी तरह झकझोर दिया। जेपी को उन्होंने पत्र में लिखा ‘पार्टी को रेत-रेत कर मरने से अच्छा इसको विधिवत बंद कर देते। आप तो जानते हैं कि मैं तो व्यक्तिगत आचरण में सती धर्म को मानने वाला रहा, जिसके साथ बंध गया, उसी के साथ रह गया। मैं तो खुद को इस पार्टी का अंतिम सदस्य सिद्ध करना चाहता हूं।

इसी कड़ी में बेनीपुरी की साहस और दिलेरी की एक दास्ता है, जब लोहिया नेपाल में पकडे गए थे। नेपाल की शासक उनको अंग्रेजी हुकूमत को सौंपने वाली ही थी, जब बेनीपुरी आजाद दस्ता ने नेपाल के थाने पर हमला कर के लोहिया जी को भगा ले आए। 1959 में राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, बेनीपुरी जी के बुलावे पर बेनीपुर जा रहे थे। कार्यक्रम की सफलता के लिए बेनीपुरी जी दिन रात एक किए थे। उसी में उनको पक्षाघात हुआ। सरकार ने पक्षघात के बहाने राष्ट्रपति के कार्यक्रम को स्थगित करना चाहा, मगर राजेंद्र प्रसाद ने कार्यक्रम निर्धारित समय पर करवाया और बेनीपुरी जी को खाट पर लाद कर लाया गया, जहां इन्होंने अंतिम बार जनसभा की। इसके बाद बीमारी से लड़ते हुए इन्होंने 7 सितम्बर 1968 को प्राण त्याग दिए।

पुरस्कार रंजन


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