बतंगड़ बेतुक : कलमुंहे कोरोना का क्या रोना
‘ददाजू’, उठो ना, इस कलमुंहे कोरोना का कुछ करो ना।’ झल्लन हमें देखते ही बोला। हमने कहा, ‘सुबह-सुबह मजाक कर रहा है, जिस कोरोना का सरकारें कुछ नहीं कर पा रही हैं उसका कुछ करने को हमसे कह रहा है।’
बतंगड़ बेतुक : कलमुंहे कोरोना का क्या रोना |
झल्लन बोला, ‘देखिए ददाजू, न हम किसी सरकार को जानते हैं और न किसी सरकारी को पहचानते हैं। हम तो बस आपको जानते हैं, सो जो कुछ करवाना हो वह करने के लिए आपसे कह डालते हैं।’ हमने कहा, ‘वही तो हम पूछ रहे हैं कि तू हमारे पीछे क्यों लग लेता है और करने न करने के सवाल हमारे सामने क्यों धर देता है?’ झल्लन बोला, ‘देखिए ददाजू, जिंदगी में न आप कुछ कर पाये हो न कर पाओगे, खाली हाथ आये थे खाली हाथ जाओगे। पर आपके पास इसलिए चले आते हैं कि हम आपको अपना गुरू मानते हैं।’ हमने कहा, ‘गुरू मानने का मतलब यह तो नहीं होता कि तू बिना कहे न रहे और हमसे कोरोना पर कुछ करने को कहे। भाई, कोरोना वैश्विक आपदा है, इससे सरकार निपटेगी, समूचा विश्व मिलकर निपटेगा, हमारे-तुम्हारे किये ये थोड़े सिमटेगा।’ झल्लन बोला, ‘हमारा विपक्षी अधेड़ बालक कह रहा है कि सरकार कुछ नहीं कर रही है, वह कोरोना जैसी महामारी की जानकारी तक नहीं रख रही है।’ हमने कहा, ‘देख झल्लन, ‘जो बालक आज अधेड़ है वह कल बूढ़ा हो जाएगा, उसके भीतर मूर्खता का जो वायरस है वह कभी नहीं जाएगा। पहले वह सीएए और एनआरसी चिल्ला रहा था अब कोरोना-कोरोना चिल्ला रहा है। झल्लाने की कोई वजह नहीं है मगर लगातार झल्ला रहा है।’
झल्लन बोला, ‘ददाजू, हमें लगता है समूचे विपक्ष को एक मंच पर आ जाना चाहिए और भारत में कोरोना फैलने का आरोप सीधे-सीधे सरकार पर लगा देना चाहिए। और मुल्ला-मौलवियों को मुसलमानों को समझाना चाहिए कि यह हिंदुत्ववादी सरकार कैसी नीचता पर उतर आयी है, सीएए और एनआरसी से पहले मुसलमानों को खत्म करने के लिए कोरोना ले आयी है।’
हमने कहा, ‘फिर सरकार को भी तुरंत मैदान में आ जाना चाहिए और कोरोना को सरकार गिराने का विपक्ष का राष्ट्र विरोधी षड़यंत्र बताना चाहिए और तुरंत ही इसमें पाक का नापाक हाथ दिखाना चाहिए।’ झल्लन बोला, ‘और विपक्ष को बताना चाहिए कि कोरोना को हटाने के लिए सरकार को हटाना जरूरी है और इसके लिए हमारे आंदोलन की तैयारी पूरी है।’ हमने कहा, ‘और साधु-संतों को तुरंत ही हवन-यज्ञ करने बैठ लेना चाहिए और कोरोना का आरोप मुसलमानों सहित सारे देशद्रोहियों पर लगा देना चाहिए। बताना चाहिए कि कोरोना को अगर कोई मिटा सकता है तो यही सरकार मिटा सकती है, इसलिए हम आहुतियां दे-देकर कोरोना जाओ की प्रार्थना करेंगे और कोरोना से निपटने के लिए इस सरकार की दीर्घ आयु की कामना करेंगे।’ झल्लन बोला, ‘विपक्ष को अपनी अलग प्रार्थना-दुआ आयोजित करनी चाहिए कि कोरोना रोके न रुक पाये, सरकार कोरोना को रोकने में पूरी तरह विफल हो जाये और विपक्ष को संसद से सड़क तक सरकार को जी भर गरियाने का मौका मिल जाये।’ हमने कहा, ‘यह तो सारे सरकार विरोधियों का दिन-रात का सपना है कि चाहे उनकी कोशिशों से मरे या कोरोना की मौत मर जाये पर किसी तरह यह सरकार मर जाये, चरमराकर गिर जाये और उन्हें फिर से सरकार का कब्जा मिल जाये। पर झल्लन, कोरोना का मसला गंभीर मसला है इस पर गंभीरता से विचार किया जाये। हम चाहते हैं कि लोग इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाएं और इसे रोकने के लिए सरकार के साथ आयें।’
झल्लन ने अपने माथे पर हाथ रखा, हमारी ओर लखा और बोला, ‘आप गंभीरता की बात कर रहे हैं ददाजू, तो यह गंभीरता तो कब की मर चुकी है, बड़े-बड़े गंभीर लोगों की मति हर चुकी है। रही विपक्ष की बात तो ददाजू, विपक्ष की राजनीतिक दुम किसी भी मुद्दे पर सीधी नहीं हो पाएगी, हमें खेद है ददाजू, आपकी चाहत पूरी नहीं हो पाएगी।’ हमने कहा, ‘बुरा वक्त है झल्लन, समूह-समुदायों को जनहित में साथ आ जाना चाहिए।’ झल्लन बोला, ‘मजाक छोड़िए ददाजू, चलिए उठिए, आप कहीं मंदिर में कीर्तन में रमिए, कोरोना भगाने की प्रार्थना करिए। हम किसी मजार पर चादर चढ़ावेंगे, खुदा से कोरोना भगाने की दुआ मांगेंगे।’
हमने कहा, ‘तू समझता है इससे कुछ हो जाएगा, कोरोना सचमुच फना हो जाएगा।’ झल्लन बोला, ‘हमें भी मालूम है कि इससे कुछ नहीं होना है पर अपनी फितरत के मुताबिक धर्म-मजहब के खेत में कुछ तो बोना है।’ हमने गुस्से से झल्लन से नजरें मिलायीं तो उसने चहकते हुए पुतलियां फिरायीं, ‘देखिए ददाजू, असल बात ये है कि जब कोरोना चला जाएगा, भारत कोरोना मुक्त हो जाएगा तब आप दावा करिए कि कोरोना आपकी प्रार्थना पर भगवान ने हटाया है और हम दावा करेंगे कि हमारी दुआ कुबूल करके इस खुदा ने भगाया है। फिर आप सच कह रहे हैं या हम, इस पर राजनीति करेंगे, आप हम पर इल्जाम धरिए हम आप पर इल्जाम धरेंगे, आप हमको झूठा कहिए हम आपको झूठा कहेंगे और इस मसले को धरना-प्रदर्शन, हिंसा-दंगा और मीडिया-सोशल मीडिया से तय करेंगे।’
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