कोरोना : संकट के बीच तीन अनुकूलताएं
इस समय कोरोना संकट से देश की अर्थव्यवस्था और विकास दर तेजी से गिरते हुए दिखाई दे रही है।
कोरोना : संकट के बीच तीन अनुकूलताएं |
18 मार्च को क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने अपनी रिपोर्ट में वर्ष 2020 के लिए भारत की विकास दर के अनुमान को घटाकर 5.2 फीसदी कर दिया। इसी तरह मूडीज ने कहा है कि कोरोना प्रकोप के कारण वर्ष 2020 में भारत की विकास दर घटकर 5.3 फीसदी हो जाएगी। इस तरह कोरोना संकट के कारण अर्थव्यवस्था के तीनों क्षेत्र-उद्योग, कृषि तथा सेवा क्षेत्र-चिंताजनक संकेत दे रहे हैं। कोरोना संकट की ऐसी चुनौतियों के बीच तीन उभरते हुए नये आर्थिक तथ्य भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद दिखाई दे रहे हैं और इनसे वर्ष 2020 में भारत के व्यापार घाटे में कमी आएगी। ये तीन तथ्य हैं-एक, कच्चे तेल की कीमतों में भारी कमी, दो, देश में सोने के आयात में आई कमी; तथा तीन, भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार अमेरिका को निर्यात बढ़ने की नई संभावनाएं।
निस्संदेह यदि हम देश के आयात बिल को देखें तो पाते हैं कि आयात बिल में पिछले कई वर्षो से लगातार पहला क्रम कच्चे तेल का है और दूसरा क्रम सोने का है। अब बदले हुए वैश्विक आर्थिक घटनाक्रम के कारण भारत को इन दोनों प्रमुख मदों पर व्यय में कमी से भारी बचत होगी। निश्चित रूप से ऐसी बचत से देश के व्यापार घाटे और वित्तीय घाटे में कमी आने का परिदृश्य रेखांकित होते हुए दिखाई दे सकेगा।
चूंकि कोरोना प्रकोप और वैश्विक सुस्ती के कारण कच्चे तेल की मांग में भारी कमी आती जा रही है। अतएव वैश्विक बाजार में इसकी कीमतें घट रही हैं। ऐसे में दुनिया में कच्चा तेल उत्पादक देशों के सबसे प्रमुख संगठन ओपेक और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईए) ने कहा है कि दुनिया के सबसे बड़े कच्चा तेल आयातक देश चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप से कच्चे तेल की कीमत वर्ष 1990 के 30 साल बाद अब फिर सबसे कम हो गई है। कच्चे तेल की कीमत 17 मार्च को घटकर करीब 30 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है। इतना ही नहीं, ओपेक देशों और रूस के बीच तेल उत्पादन में कटौती को लेकर सहमति नहीं बन पाई है और सऊदी अरब ने आक्रामक प्राईस वॉर छेड़ने का ऐलान किया है। इससे तेल की कीमतें और घटेंगी। निस्संदेह सऊदी अरब, अमेरिका और रूस पर कच्चे तेल का युद्ध भारी पड़ेगा। गोल्डमैन सैक्स ने वर्ष 2020 की दूसरी और तीसरी तिमाही के लिए कच्चे तेल की कीमत के अनुमान को घटाकर 25 डॉलर प्रति बैरल कर दिया है। साथ ही, कहा है कि यदि ओपेक देशों और रूस के बीच कच्चे तेल उत्पादन में कटौती को लेकर कोई सहमति नहीं बनी तो कच्चे तेल की कीमत और निचले स्तर तक जा सकती हैं।
निश्चित रूप से पेट्रोलियम उत्पादों के दाम घटने से भारतीय ग्राहकों को उतना फायदा नहीं मिला है, जितनी तेजी से कच्चे तेल की कीमतों में कमी आई है। लेकिन सरकार इस मौके का बड़ा फायदा अपना राजस्व बढ़ाने में करते हुए दिखाई दे रही है। केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल, दोनों पर उत्पाद शुल्क में तीन-तीन रु पये प्रति लीटर की वृद्धि कर दी है। ऐसे में राजस्व संग्रह के मोर्चे पर चुनौती झेल रही केंद्र सरकार को सालाना करीब 39 हजार करोड़ रु पये ज्यादा मिलेंगे। इतना ही नहीं, चालू वित्त वर्ष 2019-20 के राजस्व संग्रह में भी करीब 2000 करोड़ रुपये वृद्धि होगी। अर्थ विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2020 में कच्चे तेल की कीमतों में भारी कमी से ढांचागत विकास के लिए फंड जुटाने में मदद मिलेगी। साथ ही, राजकोषीय घाटे में भी कमी आएगी।
यद्यपि भारत में सोने के दाम ऊंचाई पर पहुंच गए हैं लेकिन सोने की अधिक कीमत हो जाने के कारण लोगों द्वारा पुराने सोने तथा गहनों की बिक्री सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है। देश में लोग रिसाइक्लिंग कराकर शादी-विवाह और पारिवारिक कार्यों के लिए पुराने सोने का उपयोग कर रहे हैं। स्वर्ण विशेषज्ञों का मानना है कि इस वर्ष 2020 में देश में सोने की मांग करीब 500 से 550 टन के करीब आ जाएगी। साथ ही, देश में 300 से 350 टन पुराने सोने को पिघला कर यानी रिसाइक्लिंग करके नई ज्वेलरी बनाई जाएगी। देश के स्वर्ण विशेषज्ञों के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 2020 में सोने की रिसाइक्लिंग करीब 110 फीसदी बढ़ जाएगी। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि महंगे होने के कारण सोने की मांग घटने के परिणामस्वरूप देश में सोने का आयात घट रहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि कच्चे तेल की कीमतों में भारी कमी और सोने के आयात में कमी के साथ-साथ चीन से आयात में कमी और अमेरिका सहित विभिन्न देशों में निर्यात बढ़ने की नई संभावनाएं लाभप्रद हैं।
हम आशा करें कि सरकार ने कच्चे तेल के मूल्यों में वैश्विक कमी के बाद जिस तरह पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में तीन रु पये प्रति लीटर की जो वृद्धि की है, उससे ढांचागत विकास को गति मिलेगी। साथ में यह भी बहुत जरूरी होगा की कोरोना प्रकोप की आर्थिक मुश्किलों से परेशान भारतीय उपभोक्ताओं को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बड़ी राहत देते हुए दिखाई देगी। साथ ही, सरकार सोने के आयात में कमी से सोने पर होने वाले विदेशी मुद्रा के व्यय में कमी का आर्थिक लाभ लेगी और देश की राजकोषीय स्थिति को मुश्किलों से बचाते हुए दिखाई देगी। साथ ही, हम आशा करें कि सरकार वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की घटी हुई कीमतों का लाभ लेते हुए देश में उत्पादन एवं निर्यात के मौके बढ़ाने के लिए मेक इन इंडिया अभियान को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ गतिशील करेगी। इससे वैश्विक निर्यात बाजार में भारत कई वस्तुओं के निर्यातों के लिए नई जगह लेते हुए भी दिखाई दे सकेगा। इससे निश्चित रूप से वर्ष 2020 में सरकार का वित्तीय बोझ कम हो सकेगा। ऐसा होने पर ही कोरोना प्रकोप से आर्थिक महामारी का सामना कर रही भारतीय अर्थव्यस्था के लिए वर्ष 2020 में कुछ आर्थिक सुकुनभरा परिदृश्य दिखाई दे सकेगा तथा साथ ही, व्यापार घाटा भी घटते हुए दिखाई देगा।
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