हर्ष फायरिंग : नियम-कानून बेमानी

Last Updated 20 Mar 2020 04:26:58 AM IST

मध्ययुगीन सामंती समाज की एक परंपरा जो शादी-विवाह व जन्म के अवसर पर समाज में अपनी प्रतिष्ठा दर्शाने के मकसद से शुरू हुई थी; वह इक्कीसवीं सदी के वर्तमान अत्याधुनिक समाज में भी कायम है किंतु विद्रूप रूप में।


हर्ष फायरिंग : नियम-कानून बेमानी

ऐसी ही एक परंपरा है हर्ष फायरिंग। बीते कुछ दशकों में यह परंपरा दबंगई का रूप लेती जा रही है। नशे में की जाने वाली हर्ष फायरिंग प्राणघाती साबित हो रही है। विडंबना है कि इससे परिवारीजन ही नहीं, ऐसे निदरेष भी जान गंवा बैठते हैं जिनका हर्ष उत्सव से कोई लेना देना तक नहीं होता।
गौरतलब हो कि वर्ष 2005 से 2014 की दस साल की अवधि में दिल्ली, यूपी, मध्य प्रदेश, बिहार आदि उत्तरी राज्यों में हर्ष फायरिंग की वारदात में 15 हजार से अधिक जान गई। लगभग दस हजार लोग घायल हुए। इनमें दो-तिहाई मौत अकेले उत्तर प्रदेश में हुई। सनद रहे कि वर्ष 2016 में हर्ष फायरिंग के मामले में एक पीड़ित द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर किए जाने के बाद बीते वर्ष केंद्र और राज्य सरकारों ने हर्ष फायरिंग पर सख्त कानून बनाए हैं। हर्ष फायरिंग पर रोक की याचिका दायर करने वाले व्यक्ति की 17 वर्षीय बेटी की मौत अप्रैल, 2016 में गली से गुजर रही बारात देखने के दौरान बारात में की गई फायरिंग में गोली लगने से हो गई थी। हर्ष फायरिंग पर रोक के वर्तमान कानून के तहत लाइसेंसी असलहे से हर्ष फायरिंग करने पर दो साल की जेल और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। शस्त्र लाइसेंस की प्रकिया को भी बदला गया है।

नये कानून के तहत एक व्यक्ति एक ही हथियार का लाइसेंस ले सकेगा, जबकि पुराने कानून में एक लाइसेंस पर तीन हथियार लिए जा सकते थे। अब प्रतिबंधित हथियार रखने पर कम से कम सात वर्ष और अधिकतम 14 वर्ष की सजा दी जाएगी। खेद का विषय है कि इतनी सख्ती के बावजूद इस कानून का खुलेआम मजाक उड़ रहा है। कुछ दिन पूर्व मेरठ में दो दिन में हुई हर्ष फायरिंग की चार घटनाओं में दूल्हे और एक बच्चे समेत 12 लोग घायल हो गए। बीते माह फैजाबाद (उत्तर प्रदेश) में एक विवाह समारोह के दौरान हर्ष फायरिंग के दौरान 18-19 साल की लड़की, जो छत के छज्जे से बारात देख रही थी, की गोली लगने से मौत हो गई। यूपी के ही लखीमपुर खीरी के सिकन्दराबाद गांव में पिछले साल विवाह समारोह के दौरान हर्ष फायरिंग ने तो दोनों ही परिवारों के सपने चकनाचूर कर दिए। हर्ष फायरिंग में गोली दूल्हे को जा लगी और उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया। इलाहाबाद के बारा थाना क्षेत्र में हर्ष फायरिंग में हुई दुल्हन के भाई की मौत ने विवाह की खुशियां गमगीन कर दी थीं। कुछ ऐसा ही बीते दिनों कानपुर में हुआ, जहां एक राष्ट्रीय पार्टी के युवा नेता रखकर तिलक समारोह में सरेआम तमंचे पर डिस्को किए जाने के वीडियो ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। इसी तरह गत वर्ष बिहार के सहरसा में एक शादी समारोह में  हर्ष फायरिंग में एक डांसर बेमौत मारी गई।
उल्लेखनीय है कि नशे की हालत में हर्ष फायंिरग से होने वाले हादसे अब हरियाणा, झारखंड, असम, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु और कर्नाटक में भी होने लगे हैं। बारात निकलते वक्त सड़क किनारे से गुजरने वाले राहगीर या उस रास्ते में आने वाले घरों की छत अथवा छज्जे से झांकते लोग हर्ष फायरिंग के दौरान चलाई गई गोली की चपेट में आ जाते हैं।
सवाल है कि पाबंदी के बावजूद शादी समारोहों में क्यूं सरेआम असलहे लहराए जाते हैं? आरोपियों के खिलाफ पुलिस क्यों सख्त कार्रवाई नहीं कर पाती? गौर करने वाला मुद्दा यह भी है कि जिस तरह के परिवारिक माहौल में हर्ष फायरिंग की जाती है तो उस स्थिति में पुलिस का इसे रोकना सहज नहीं होता। हर गलती के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराने की हमारी यह प्रवृत्ति अनुचित है। सरकार को चाहिए कि इस तरह की किसी भी गतिविधि के लिए समारोह के आयोजक को ही जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए। किसी भी शिकायत के मिलने पर उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए तभी ऐसी वारदात को रोका जा सकता है। जिन लोगों के पास शस्त्र का लाइसेंस है, उनको स्पष्ट बता देना चाहिए कि इस तरह की किसी भी फायरिग में शामिल पाए जाने पर उनका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा और उनके परिवार में किसी भी सदस्य को भविष्य में कोई लाइसेंस आवंटित नहीं किया जाएगा। दरअसल, लाइसेंस आत्मरक्षा के लिए कम, असर और रसूख के प्रदर्शन के लिए ज्यादा हासिल किए जाते हैं।  
इसी के साथ शादी-विवाह में हवाई फायरिंग की संभावना के संबंध में पूर्व जानकारी होने पर वहां समुचित पुलिस प्रबंध किया जाना चाहिए। शस्त्र के गलत प्रयोग की सूचना पर धारा 30 के तहत अभियोग पंजीकृत कर शस्त्र निरस्त कर देना चाहिए। हर्ष फायरिंग में किसी की मृत्यु या चोट लगने के मामले में बिना तहरीर की प्रतीक्षा किए एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए। यही नहीं, शासन स्तर पर होर्डिग्स और बैनर आदि द्वारा हर्ष फायंिरंग पर रोक का व्यापक प्रचार-प्रसार भी जरूरी है ताकि जनमानस में इसके प्रति जागरूकता पैदा हो सके। सभी को इस मामले में अपनी जिम्मेदारी को समझना चहिए जिससे कि आने वाले समय में इस तरह से होने वाली किसी भी दुर्घटना को रोका जा सके और कानून का अनुपालन हो सके।

पूनम नेगी


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