सरोकार : ऑनलाइन भी सुरक्षित नहीं हैं औरतें

Last Updated 15 Mar 2020 12:16:36 AM IST

इंटरनेट के पितामह कहे जाने वाले टिम बर्नर्स ली कोई चेतावनी दें तो उसे गंभीरता से लेना ही होगा।


सरोकार : ऑनलाइन भी सुरक्षित नहीं हैं औरतें

ली ने हाल में चेताया है कि इंटरनेट लड़कियों, औरतों के लिए काम नहीं कर रहा। उनके लिए असुरक्षित जगह है। चूंकि उन्हें ऑनलाइन नुकसान, यौन शोषण का शिकार होना पड़ता है, डराने-धमकाने वाले संदेश भेजे जाते हैं। यह नुकसान भी हो रहा है कि उन्हें नौकरियां छोड़नी पड़ रही हैं, स्कूल छोड़ना पड़ रहा है, रिश्ते बिगड़ रहे हैं, अपनी राय प्रकट करने की बजाय चुप रहना पड़ रहा है।
र्वल्डवाइड वेब के 31वें जन्मदिन पर उन्होंने एक खुली चिट्ठी में कहा कि इंटरनेट से एलजीबीटीक्यू प्लस समुदायों, हाशिए पर पड़े दूसरे समूहों और अेत समुदाय की लड़कियों को खास तौर से भेदभाव झेलना पड़ रहा है। ली इस बात से भी चिंतित हैं कि दुनिया की आधी से ज्यादा औरतों को इंटरनेट की सुविधा प्राप्त नहीं। वजह यह है कि वह बहुत महंगा है, दूसरी यह कि बहुत-सी औरतों को मोबाइल और कंप्यूटर चलाना नहीं आता। पर ली की यह और भी बड़ी चिंता है कि इंटरनेट औरतों के लिए असुरक्षित होता जा रहा है। ली के अपने वेब फाउंडेशन के एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि आधी से ज्यादा युवतियों को ऑनलाइन हिंसा का शिकार होना पड़ता है। उनकी फोटो बिना उनकी इजाजत शेयर की जाती है। कुछ दिन पहले एमनेस्टी इंटरनेशनल के भारत स्थित कार्यालय में ‘ट्रोल पेट्रोल इंडिया : एक्सपोजिंग ऑनलाइन एब्यूज फेस्ड बाय विमैन पॉलिटिशियंस इन इंडिया’ शीषर्क से एक अध्ययन किया गया। इसमें कहा गया कि भारत में महिला राजनेताओं को ट्विटर पर र्दुव्‍यवहार का सामना करना पड़ता है। इसमें 95 महिला राजनेताओं को भेजे गए लाखों ट्वीट की समीक्षा की गई थी। उन्हें न केवल उनकी राय के लिए, बल्कि उनकी अलग-अलग पहचानों-जैसे धर्म, जाति, वैवाहिक स्थिति इत्यादि के लिए भी अभद्र भाषा का शिकार होना पड़ता है। अध्ययन में भारत में 2019 के आम चुनावों के पहले, उसके दौरान और उसके तुरंत बाद के तीन महीनों में भारतीय महिला राजनेताओं का उल्लेख करते हुए 114,716 ट्वीट का विश्लेषण किया गया। अध्ययन में हर राजनीतिक विचार वाली महिला शामिल थीं। 

एमनेस्टी ऑनलाइन उत्पीड़न पर पहले भी एक अध्ययन कर चुका है। संगठन ने अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन, पोलैंड, स्वीडन, डेनमार्क और न्यूजीलैंड में किए अध्ययन में कहा था कि दुनिया की हर चार में से एक महिला ने कभी-न-कभी ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना किया है। अध्ययन में 18-55 वर्ष की 4,000 महिलाओं से बातचीत की गई थी। जिन महिलाओं ने ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना किया है, उनमें से एक चौथाई का कहना था कि इसमें शारीरिक और यौन उत्पीड़न, दोनों शामिल थे। कुछ का कहना था कि उन्हें अपने परिवार की सुरक्षा का खतरा भी महसूस हुआ। इकसठ फीसद महिलाओं ने आत्मसम्मान और आत्मविश्वास में कमी महसूस करने की बात कही तो 55 फीसद ने तनाव, चिंता और हिचक की बात स्वीकारी। सर्वेक्षण में 75 फीसद महिलाओं ने माना कि ऑनलाइन र्दुव्‍यवहार के चलते उनके इंटरनेट इस्तेमाल में बदलाव आया है। 32 फीसद महिलाओं ने कहा कि वे सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट करने या किसी मुद्दे पर अपनी राय देने से बचने लगी हैं। सवाल यह है कि क्या ली ने इस जिन्न को गढ़ने से पहले ऐसे खतरे का अंदाजा लगाया था? औरतें, अगर वर्चुअल दुनिया में भी मदरे से डरें तो विकास की किसी पायदान पर खड़े हैं हम, यह सोचना होगा।

माशा


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