वैश्विकी : दुनिया के निशाने पर दिल्ली
राजधानी दिल्ली की हिंसा को लेकर नरेन्द्र मोदी सरकार को कुछ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और हस्तियों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
वैश्विकी : दुनिया के निशाने पर दिल्ली |
यह आलोचना पिछले वर्ष अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से शुरू हुए अभियान की एक कड़ी है। जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र तथा उसकी संस्थाओं और अन्य मंचों से भारत के खिलाफ अभियान छेड़ा था। इसमें उसे सफलता नहीं मिली थी, केवल तुर्की और मलयेशिया ने उसका साथ दिया था। नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद पश्चिमी देशों की कुछ संस्थाओं ने अंतरराष्ट्रीय कानून और संवैधानिक आधारों पर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी।
दिल्ली दंगों के बाद आलोचना के ये सभी आधार और तर्क आपस में मिल गए। घरेलू मोर्चे पर दिल्ली और अन्य स्थानों पर सामान्य स्थिति कायम करने के साथ ही बाहर से हो रही आलोचनाओं का जवाब देना विदेश मंत्रालय के लिए नई चुनौती बन गया। मोदी सरकार के पक्ष में एक सकारात्मक बात यह हुई कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी भारत यात्रा के दौरान बहुत संयत रवैया अपनाया। भारत के घटनाक्रम के बारे में उन्होंने सरकार के रवैये के प्रति समझदारी ही नहीं दिखाई, बल्कि मोदी के नेतृत्व पर भरोसा व्यक्त करते हुए कहा कि वह स्थिति को संभालने में सक्षम हैं। भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में उन्होंने कहा कि मोदी सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है और मोदी ने इस बारे में जाहिर की जा रही आशंकाओं का बहुत ही प्रभावशाली तरीके से उत्तर दिया है। वास्तव में, ट्रंप पश्चिमी जगत के एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो खुलकर इस्लामी जेहाद शब्द का इस्तेमाल करते हैं। जेहाद से पैदा होने वाले खतरे और मजबूती से इसका सामना करने के संबंध में ट्रंप और मोदी की राय लगभग एक जैसी है।
अमेरिकी की घरेलू राजनीति में आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ने और विदेशी नागरिकों को देश में प्रवेश को लेकर ट्रंप की नीतियों का काफी विरोध है। राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के संभावित उम्मीदवार बर्नी सेंडर्स ने भारत के घटनाक्रम के बारे में ट्रंप के रवैये की खुलकर आलोचना की। सेंडर्स का मानना था कि यह अपेक्षा की जाती है कि राष्ट्रपति ट्रंप किसी देश में धार्मिक भेदभाव और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के हनन के खिलाफ खुलकर बोलें। अमेरिका में बसे भारतीयों के एक बड़े वर्ग ने सेंडर्स की इस आलोचना पर आपत्ति की है। उनका आरोप है कि बर्नी सेंडर्स के चुनाव अभियान का संचालन करने वाले लोगों में एक प्रभावशाली पाकिस्तानी शख्स शामिल है। जम्मू-कश्मीर, सीएए और दिल्ली हिंसा के बारे में यह पाकिस्तानी शख्स जो जानकारी मुहैया कराता है, उसी को सेंडर्स दोहराते हैं।
आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) और अल कायदा ने दिल्ली दंगों की उत्तेजना फैलाने वाली तस्वीरों के जरिए भारत के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान छेड़ा है और लोगों को हिंसा के लिए भड़का रहा है। आतंकी संगठनों पर गहरी नजर रखने वाली अमेरिकी पत्रकार रुक्मिणि कॉलिमची ने ट्विटर अकाउंट पर आईएस की ओर से सोशल मीडिया पर जारी की गई जेहाद की धमकी को साझा किया है। रुक्मिणी के अनुसार आईएस भारत की इस्लामिक खलीफा हुकूमत का एक सूबा ‘विलायत अल-हिंद’ मानता है। इस संगठन ने भारत में जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है। राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर इस्लामिक देशों के संगठन आर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन (ओआईसी) और अमेरिका में धार्मिक स्वतंत्रता की निगरानी करने वाली एजेंसी ‘यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम’ (यूएससीआईआरएफ) ने सवाल खड़े किए हैं। भारत के विदेश मंत्रालय ने इन दोनों संगठनों के बयानों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इन्हें जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं है।
दिल्ली में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। अपेक्षा की जाती है कि देर-सबेर मोदी सरकार के आलोचक भी भारत के हालिया घटनाक्रमों के बारे में संतुलित रवैया अपनाएंगे। इस बीच, विदेश मंत्रालय पर भी नई जिम्मेदारी आएगी कि देश की घरेलू राजनीति के बारे में दुनिया के सामने सही तथ्यों को पेश करे और उन्हें आश्वस्त करे।
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