तकनीक विचार जो भविष्य का जीवन होगा
नई वैज्ञानिक तकनीकें हमें मजबूर कर रही हैं नये लाइफ स्टाइल में जीने के लिए. हमने कभी सोचा भी नहीं था कि इतनी तेज संचार क्रांति हमारी दिनचर्या को प्रभावित कर देगी.
![]() तकनीक विचार जो भविष्य का जीवन होगा |
एक दशक पहले इंटरनेट के यूजर सीमित ही थे, लेकिन आज यही हमारी आवश्यकता हो गया है. आगे आने वाला समय भी हमें नई दुनिया के क्रियाकलाप की ओर तेजी से ले जाने की कोशिश कर रहा है. मिसाल के तौर पर कुछ वैज्ञानिक तकनीकों पर हम यहां विचार कर सकते हैं. भविष्य के अनेक विचार हमें नई व्यावहारिक क्रांति की ओर ले जाने को तैयार हैं. जैसे प्रयोगशालाओं में मांस को तैयार किया जाएगा. पशुओं को पालने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी यानी व्यक्ति मवेशियों से दूर हो जाएगा. एक समय ऐसा भी आ सकता है, जब हम जिस बकरी का मांस खा रहे होंगे, उसके आकार का पता भी नहीं चलेगा. मांस का उत्पादन प्रयोगशालाओं में उसके एक टिश्यू यानि ऊतक की वृद्धि से कर लेंगे, बकरी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.
इस कार्य से वह झंझट भी नहीं रहेगा जिसमें भारत जैसे देश में गौ मांस से लेकर सूअर मांस के खाने को लेकर जब-तब विवाद उठ खड़ा होता है. अनुमान है कि एक किग्रा. मीट प्राप्त करने के लिए दो सौ गुना भूमि और तीस गुना पानी की जरूरत पड़ती है. दुनिया में अस्सी प्रतिशत फार्मलैंड यानी भूमि की आवश्यकता मवेशियों को पालने में होती है. आने वाले समय में वैज्ञानिक उपलब्धि के माध्यम से कार की चालक सीट पर आदमी की आवश्यकता नहीं रहेगी. अनुमान है कि विश्व में 90 प्रतिशत दुर्घटनाएं चालक की गलती से होती हैं. 2013 के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में 11 लाख लोगों की मृत्यु सड़क हादसों में हुई.
रत्नों की खुदाई आसमान में होगी. जैसे क्षुद्र ग्रहों या एस्टरवाइड में खुदाई का काम होगा और वहां से बेशकीमती धातुओं को लिया जाएगा. अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से यह कार्य संपन्न होगा. धातुओं में सोना और प्लेटिनियम हैं. इन ग्रहों पर पानी भी है. इस पानी का उपयोग राकेट के ईधन में प्रयोग हो सकेगा. एक प्लेटिनियम संपन्न 500 मीटर क्षुद्र ग्रह से वर्तमान में निकाले जाने वाले प्लेटिनियम से 175 गुना अधिक प्लेटिनियम मिल सकता हैं. यद्यपि ऐसे ग्रहों की पहचान करना चुनौती भरा कार्य है, फिर भी वैज्ञानिक उम्मीद लगाए हुए हैं. पहले उन क्षुद्र ग्रहों पर रोबोट उतारना और फिर उनसे खुदाई कर पृथ्वी पर लाना मुश्किल भरा काम है.
एक अन्य कार्य, जो भविष्य में व्यावसायिक स्तर पर होने जा रहा है, में समुद्र के पानी से स्वच्छ ऊर्जा और ईधन प्राप्त करने की तकनीक को विकसित किया जा रहा है. इस कार्य में ऊर्जा की प्राप्ति नाभिकीय फ्यूजन द्वारा प्राप्त की जाएगी. इससे किसी रेडियोएक्टिव कचरे का उत्पादन नहीं होगा. स्वच्छ ऊर्जा की प्राप्ति संभव है. इसमें जो वेस्ट पैदा होगा, वह हीलियम होगा जो जहरीला नहीं है. आजकल न्यूक्लियर पावर प्लांट से जो परमाणु ऊर्जा हम पैदा कर रहे हैं, उससे वेस्ट के रूप में रेडियोएक्टिव पदार्थ पैदा होता है, जो पिघलने पर वातावरण को भी प्रदूषित कर सकता है. बहरहाल, इस दिशा में प्रयास जोरों पर हैं.
एक अन्य कार्य यह होगा कि आने वाले समय हर व्यक्ति के लिए बैंकिंग जरूरी होगी. इंटरनेट और मोबाइल फोन के जरिए पैसों का लेन-देन होगा. डिजिटल सिस्टम अधिक उपयोग में आएगा. निम्न आय वर्ग के लोग आसानी से छोटे व्यवसाय कर सकेंगे. अभी दुनिया में दो अरब प्रौढ़ लोगों का बैंकों से सीधा वास्ता नहीं है. आज समय की मांग है कि सबसे गरीब व्यक्ति का इंटरनेट से संबंध होना आवश्यक हो, तभी कैशलेस पण्राली को बल मिल सकेगा.
आने वाला समय पूरी तरह से नई वैज्ञानिक हलचलों के साथ आगे बढ़ेगा. पुराने तौर-तरीके समाप्ति की ओर होंगे. तकनीक पूरी तरह से आम आदमी के जीवन को चलाएगी. समय की गर्त में बहुत सारी ऐसी संभावनाएं जन्म ले रही हैं, जो आम आदमी की सोच से बाहर तो हैं, पर समय के साथ उसे उन्हीं तकनीक का दास बनना पड़ेगा. यह समय दूर नहीं है. जैसे कहते हैं: आवश्यकताएं आविष्कार की जननी हैं. हमारी आवश्यकताएं द्रुत गति से विकास की ओर रुख किए हुई हैं, इनकी भरपाई वैज्ञानिक मस्तिष्क करने के लिए हर समय तैयार है. पुरानी तकनीक पीछे छूटती जा रही हैं, और नई तकनीक के हम तुरंत गुलाम बन रहे हैं. लगता है कि इसके बिना जीवन संभव नहीं है. आज दूसरे ग्रह पर जाने के लिए दूरियां भी कुछ नहीं रहीं. साथ ही, हम दूसरे ग्रह को भी अपने रहने योग्य बनाने की फिराक में हैं.
| Tweet![]() |