विश्वविद्यालय में अब अप्रेंटिसशिप आधारित UG कोर्सेज
देशभर के विश्वविद्यालयों में अब अप्रेंटिसशिप आधारित अंडरग्रेजुएट कोर्सेज चल सकेंगे। ऐसे अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में एक से तीन सेमेस्टर की अवधि अप्रेंटिसशिप की होगी।
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योजना के तहत तीन साल के अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में एक से तीन सेमेस्टर की अप्रेंटिसशिप चलेगी। इसी प्रकार चार साल के अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में दो से चार सेस्टर की अप्रेंटिसशिप होगी। ऐसे कोर्सेज में छात्रों को अप्रेंटिसशिप का स्टाईपेंड भी दिया जाएगा।
छात्रों को रोजगार योग्य बनाने के लिए इस तरह के अंडरग्रेजुएट कोर्सेज चलाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अपनी गाइडलाइंस जारी की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए इसको मूर्त्त रूप दिया गया है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइडलाइंस के अनुसार तीन महीने की अप्रेंटिसशिप के लिए दस क्रेडिट्स मिलेंगे। अप्रेंटिसशिप के दौरान छात्र उद्योगों में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।
यूजीसी के अनुसार अप्रेंटिसशिप आधारित अंडरग्रेजुएट कोर्सेज चलाने के लिए किसी भी विश्वविद्यालय का नैक की स्कोरिंग प्राप्त हो या एनआईआरएफ की रैंकिंग प्राप्त होना जरूरी है।
यूजीसी की गाइडलाइंस के अनुसार विश्वविद्यालयों को अप्रेंटिसशिप आधारित अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में अप्रेंटिसशिप शेडय़ूल तय करने की छूट होगी।
गाइडलाइंस के अनुसार कोर्स के पहले सेमेस्टर में अप्रेंटिसशिप नहीं कराया जा सकता है। हालांकि कोर्स के आखिरी सेमेस्टर में अप्रेंटिसशिप कराया जा सकता है। इन कोर्सेज में करार करने के लिए विश्वविद्यालयों को उद्योग अथवा संस्थान के साथ करार करना होगा।
यूजीसी ने इस गाइडलाइंस का उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान किया है। इसके तहत यूजीसी द्वारा जांच समिति गठित की जाएगी। नियमों का उल्लंघन करने पर विश्वविद्यालय को यूजीसी की योजना से बाहर किया जा सकता है।
दूसरा विश्वविद्यालय को डिग्री कोर्सेज को चलाने पर प्रतिबंधित किया जा सकता है। तीसरा विश्वविद्यालय को डिस्टेंट लर्निंग कोर्सेज चलाने पर रोका जा सकता है। चौथा विश्वविद्यालय को उच्च शिक्षण संस्थान की लिस्ट से हटाया जा सकता है।
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