भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पुनर्गठित दर निर्धारण समिति ने सोमवार को अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति पर विचार-विमर्श शुरू किया।
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यह बैठक ऐसे वक्त में हो रही है जब मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं और पश्चिम एशिया संकट के फिर से उभरने की आशंका के मद्देनजर ब्याज दरों पर यथास्थिति का अनुमान है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई शायद अमेरिकी फेडरल रिजर्व का अनुसरण न करे, जिसने हाल में ब्याज दरों में आधा प्रतिशत की कमी की है। इसके अलावा कुछ दूसरे विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों ने भी ब्याज दरों में कमी की है।
इस महीने की शुरुआत में सरकार ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का पुनर्गठन किया था।
आरबीआई गवर्नर और एमपीसी चेयरमैन शक्तिकान्त दास बुधवार (नौ अक्टूबर) को तीन दिवसीय चर्चा के नतीजों की घोषणा करेंगे।
डॉयचे बैंक के भारत और दक्षिण एशिया के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक दास ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि आरबीआई आगामी अक्टूबर मौद्रिक नीति बैठक में नीतिगत रेपो दर (वर्तमान में 6.50 प्रतिशत) में बदलाव नहीं करेगा।’’
डीबीएस बैंक की कार्यकारी निदेशक और वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने उम्मीद जताई कि दिसंबर की समीक्षा में केंद्रीय बैंक के रुख में नरमी आएगी।