मोदी शासन में बैंकिंग व्यवस्था हुई चौपट : कांग्रेस
कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सात साल के शासन में बैंकों में ठगी तेजी से बढ़ी और सरकार ठगों के विरुद्ध कार्रवाई करने में विफल रही जिसके कारण देश में बैंकिंग व्यवस्था बहुत कमजोर हुई है।
![]() कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ |
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने सोमवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रिजर्व बैंक ने अपनी वाषिर्क रिपोर्ट जारी कर दी है। रिपोर्ट के महत्वपूर्ण हिस्से में शीर्ष बैंक ने बैंकिंग ठगी का आंकड़ा देते हुए कहा है कि पिछले सात वर्षों के दौरान बैंकों में 1.38 लाख करोड़ रुपए की ठगी हुई है।
श्री वल्लभ ने कहा कि बैंकिंग ठगी की घटनाओं में आई इस तेजी की वजह सरकार की उदासीनता है जिसके कारण ठगों के हौसले बढ़े और बैंकिंग व्यवस्था चौपट हुई है। सरकार बैंकों से की जा रही ठगी को रोकने में विफल रही है और उसने ठगी की रकम वापस लाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए है।
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि हमारी बैंकिंग व्यवस्था को कमजोर करने वाले इन ठगों से अब तक कितना पैसा वसूला गया है। उनका कहना था कि सरकार ने बैंकों से ठगी गई रकम को वसूलने का कोई प्रयास नहीं किया और ठगों को देश में ही काम करते रहने या फिर देश छोड़कर भागने का मौका देकर बैंकिंग व्यवस्था को चौपट किया है।
श्री वल्लभ ने कहा कि केंद्र सरकार ने सरकारी बैंकों को पर्याप्त पूंजीगत समर्थन नहीं दिया जिससे बैंकों की स्थिति और भी खराब हुई है। सरकार को चाहिए कि वह बैंकों को खोखला करने वाले इन ठगों पर कठोरता पूर्वक कार्रवाई करे और ठगी गई रकम जल्द से जल्द उनसे वसूल करे।
उन्होंने कहा कि आरबीआई ने अपनी वाषिर्क रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति का ब्यौरा देते हुए कुछ चौंकाने वाले आंकड़े सामने रखे हैं। उनका कहना था कि यदि पिछले तीन सालों में ही देखें तो ठगी की औसत राशि 2018-19 में 10.5 करोड़ रुपए से बढ़कर 2019-20 में 21.3 करोड़ और 2020-21 में 18.8 करोड़ रुपए हो गई। इसी तरह से 2014-15 में ठगी की औसत राशि 4.2 करोड़ रुपए थी जो 2019-20 तथा 2020-21 में चार से पांच गुना अधिक हुई है।
उन्होंने कहा कि आरबीआई के अनुसार ठगी की तारीख और ठगी का पता चलने की तारीख के बीच सूचित करने का औसत समय 2020-21 में 23 महीने और 2019-20 में 24 महीने था जबकि 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी के लिए 2020-21 में औसत समय 57 महीने और 2019-20 में 63 महीने था। इससे साबित होता है कि मोदी सरकार बातें खूब करती है लेकिन काम के मामले शून्य है।
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