अच्छे दिनों की राह में पेट्रोल का पलीता
अच्छे दिन लाने के वादे के साथ केंद्र की सत्ता में आई भाजपा सरकार अब आम आदमी की राह में खुद ही मुसीबत पैदा कर रही है.
![]() पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी का मामला |
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को देखकर तो यही साबित हो रहा है. वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के भाव में भारी गिरावट के आने के बावजूद दिल्ली में बुधवार को पेट्रोल के दाम 70 रुपए प्रति लीटर के पार चले गए.
पेट्रोल की कीमत का पिछले तीन साल का यह सबसे ऊंचा स्तर है जबकि इस दौरान कच्चे तेल के दाम घटकर आधे रह गए हैं.
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद कच्चे तेल में गिरावट का रुख शुरू हुआ. आंकड़ों पर गौर करें तो एक जुलाई, 2014 को इसके भाव 112 डालर प्रति बैरल के स्तर पर थे तब दिल्ली में पेट्रोल 73.60 रुपए प्रति लीटर था.
इसके बाद 13 सितम्बर, 2014 को कच्चा तेल गिरकर 106 डालर प्रति बैरल पर आ गया.
उस दिन पेट्रोल 68.51 रुपए प्रति लीटर था. कच्चे तेल आज यानी 13 सितम्बर को 54 डालर प्रति बैरल है जबकि पेट्रोल के दाम बढ़कर 70.38 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गए. यही नहीं, मुंबई में पेट्रोल का भाव 80 रुपए प्रति लीटर के भाव पर बिक रहा है.
इस तरह पिछले तीन साल में कच्चे तेल करीब 50 फीसद सस्ता हुआ है जबकि पेट्रोल के दाम घटने के बजाय और बढ़ गए हैं. पेट्रोल और डीजल के भाव बाजार के हवाले होने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों की मनमानी बढ़ गई है.
सरकार ने गत 16 जून से पेट्रोल और डीजल के भाव रोजाना आधार पर तय करने की अनुमति दी थी. इसके पीछे दलील थी कि इससे आम आदमी को फायदा होगा.
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