जीएसटी 30 जून 2017 की आधी रात से
आजादी के बाद देश के सबसे बड़े आर्थिक सुधार‘एक राष्ट्र-एक कर’ की अवधारणा पर आधारित ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) आखिरकार 1 जुलाई 2017 से लागू हो रहा है.
GST 30 जून 2017 की आधी रात से |
संसद के केन्द्रीय कक्ष में शुक्रवार की आधी रात आयोजित हो रहे समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी घंटा बजाकर देश में जीएसटी लागू होने का एलान करेंगे जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित कई दलों ने समारोह में भाग नहीं लेने का ऐलान किया है.
केन्द्रीय उत्पाद शुल्क, विक्रय कर, चुंगी कर, वैट जैसे कई अप्रत्यक्ष करों को मिलाकर जीएसटी बनाया गया है और इसके लागू होने पर लगभग अधिकांश अप्रत्यक्ष कर समाप्त हो जायेंगे और वस्तुओं का एक राज्य से दूसरे राज्य में निर्बाध प्रवेश शुरू हो जायेगा. कुछ विपक्षी राजनीतिक दलों का कहना है कि इसके लिए अभी तैयारियां पूरी नहीं हैं और कारोबारी भी इसके लिए तैयार नहीं हैं.
जीएसटी का प्रारंभ में तत्कालीन विपक्षी दल भाजपा ने ही कड़ा विरोध किया था, लेकिन अब उसका कहना है कि इसके लिए राज्यों के बीच आम सहमति बनायी गयी है और लगभग सभी राज्य तैयार हैं. मोदी सरकार द्वारा जीएसटी के लिए प्रयास किये जाने पर कांग्रेस ने भी इसका विरोध किया था. केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड जीएसटी को लेकर कारोबारियों में जागरूकता पैदा करने और उन्हें इसके लिए प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से पूरे देश में कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है.
सरकार के सभी मंत्री अलग-अलग क्षेत्रों में आयोजित हो रहे कार्यक्रमों में जीएसटी के फायदे बता रहे हैं जबकि कपड़ा और फर्नीचर व्यापारियों के साथ ही कई कारोबारी संगठनों ने इसके विरोध में कारोबार बंद रखा है. उद्योग संगठन एसोचैम ने जीएसटी के लिए कारोबारियों के पूरी तरह से तैयार नहीं होने का हवाला देते हुये सरकार से इसको लागू करने की तिथि एक महीने आगे बढ़ाने की अपील की थी. उद्योग संगठन फिक्की के महासचिव रहते हुये आर्थिक सुधारों के पैरोकार रहे पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने जीएसटी का विरोध किया है.
ये दल इसलिए नहीं लेंगे भाग
► कांग्रेस : जीएसटी के कार्यक्रम में नहीं जाने का फैसला हमारा अपना है. हमने इस मामले में अन्य विपक्षी दलों से कुछ भी नहीं कहा है. अन्य विपक्षी दल इस मामले में अपना स्वतंत्र रूप से फैसला ले रहे हैं.
► जदयू : पार्टी जीएसटी की तरफदार है पर सरकार के तमाशे को गैरजरूरी मानती है. पार्टी का कोई वरिष्ठ नेता इस तमाशे में शामिल नहीं होगा. बाकी का फैसला हमने पार्टी सांसदों पर छोड़ दिया है.
► वामदल : किसान, गरीब, दलित और अल्पसंख्यक परेशान हैं और भाजपा जश्न मनाने में जुटी है. जीएसटी लागू करने के तरीके को लेकर छोटे और मझोले उद्यमियों, व्यापारियों, बुनकरों व अनौपचारिक क्षेत्र के कर्मियों के विरोध के चलते भाग नहीं लेेंगे.
► तृमूकां : जीएसटी को जल्दबाजी में लागू किया जा रहा है तथा सभी पक्षों को ध्यान में नहीं रख गया है जिसके कारण छोटे व्यापारियों एवं कारोबारियों के लिए समस्याएं बढ़ सकती है.
खाद्य वस्तुएं सस्ती होंगी
जीएसटी को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं. नई व्यवस्था लागू होने पर कारोबारियों को शुरू में कुछ महीने असुविधा हो सकती है. कुछ वस्तुओं एवं सेवाओं के दाम बढ़ सकते हैं लेकिन इससे ज्यादातर खाने-पीने की वस्तुएं, लग्जरी कारें, बाइक, साइकिल आदि उत्पाद सस्ते हो जाएंगे. इसलिए नई पण्राली को सिर्फ आशंका के नजरिए से ही नहीं देखना चाहिए. समझ में आने के बाद यह सभी के लिए उपयोगी साबित होगी.
जिन पर नहीं लगेगा कर
नई पण्राली में गेहूं, चावल, अन्य अनाज, खुला आटा, मैदा, बेसन, दूध, दही, लस्सी, पनीर, अंडा, मीट, मछली, शहद, ताजे फल एवं सब्जियां, प्रसाद, नमक, पान के पत्ते, मिट्टी के बरतन, खेती के उपकरण, गैर ब्रांडेड और आग्रेनिक खाद पर जीएसटी की शून्य दर रहेगी. इसके अलावा स्टांप पेपर, कोर्ट के कागजात, चॉक समाचार पत्र-पत्रिकाएं, मैप, एटलस पर जीएसटी लागू नहीं होगा.
जीएसटी का मैकेनिज्म
यह पूरी तरह से टेक्नोलाजी पर आधारित कर पण्राली है जिसमें सभी काम इलेक्ट्रानिक तरीके से होंगे. इसके चार अहम बिंदु हैं जिनमें ई टैक्स, ई रिटर्न, ई आडिट और ई असेसमेंट शामिल हैं. जीएसटी में कर की अदायगी केवल क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, एनईएफटी या आरटीजीएस के जरिए होगी. केवल 10,000 रुपए से कम का कर भुगतान नकद अथवा चेक से किया जा सकेगा. यदि व्यापारी चाहें तो अपना रिटर्न सीधे जीएसटी नेटवर्क के पोर्टल पर दाखिल कर सकते हैं. व्यापारियों के लिए जीएसटी सुविधा प्रोवाइडर (जीएसपी) की व्यवस्था की गई है. ऐसे में इस पण्राली से आशंकित न हों.
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