सीबीआई ने 2900 करोड़ रूपये का हेरफेर करने वाली 339 मुखौटा कंपनियों को पकड़ा

Last Updated 08 May 2017 10:14:29 AM IST

सीबीआई ने मुखौटा कंपनियों के खिलाफ अपनी तीन वर्ष की जांच के दौरान बीते तीन साल में 339 मुखौटा कंपनियों के एक जाल का पता लगाया है.


फाइल फोटो

जिनके जरिए कथित तौर पर 2900 करोड़ रूपये की बड़ी राशि को इधर उधर किया गया.
    
सीबीआई सूत्रों का कहना है कि इन मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल बैंकों के ऋण के गबन करने तथा फर्जी बिलों और ‘धन को घुमाफिरा कर ला कर’ करों की चोरी व कालाधन सृजित करने में किया गया. इसके साथ ही इनके जरिए करों की पनाहगाह कहे जाने वाले देशों को भी धन भेजा गया और फिर उस धन को विदेशी निवेश के रूप में वापस लाने के लिए भी
इन मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल किया गया. 
   
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई को अब तक जो जानकारी मिली है वह ऊंट के मुहं में जीरे के समान है. ये मामले वे हैं जहां जांच एजेंसी बैंकों के साथ धोखाधड़, ऋण की राशि की हेरा
फेरी और धन के लेन देन के रास्तों का सुबूत जुटा सकी है. 
   
सूत्रों ने अपना नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया कि सीबीआई ने 28 सार्वजनिक बैंकों व एक निजी बैंक से जुड़े विभिन्न ऋण धोखाधड़ी मामलों की जांच के दौरान धन
के हेरफेर की उक्त गतिविधियों को पकड़ा है. इसके साथ ही एजेंसी कम से कम 30,000 कोड़ रूपये के धन से जुड़े लगभग 200 मामलों की जांच कर रह रही है.
  
सीबीआई इन जिन कंपनियों के खिलाफ साक्ष्य जुटा लिए है उनमें वह भ्रष्टाचार व अन्य सम्बद्ध अपराधों के लिए मामले दायर कर रही है.
  
सूत्रों का कहना है कि सीबीआई ने इन मामलों को अन्य जांच एजेंसियों के पास भी भेजा है ताकि इनमें कंपनी कानून, मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए), बेनामी लेनदेन
(निरोधक) कानून व आयकर कानून जैसे कानूनों के तहत कार्रवाई की जा सकी.
  
सूत्रों का कहना है कि एजेंसी ने इन मुखौटा कंपनियों को पकड़ा ही नहीं है बल्कि आगे के परिचालन में उनके इस्तेमाल किए जाने की संभावना को भी ‘बंद’ कर दिया है.
 
सूत्रों के अनुसार हो सकता है कि इन मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल अन्य लोगों ने वित्तीय अपराधों के लिए किया हो. अन्य एजेंसियां उसकी भी जांच करेंगी.
 
सीबीआई ने जिन महत्वपूर्ण मामलों की जांच की है उनमें एक तो महुआ चैनल चलाने वाली कंपनी सेंचुरी कम्युनिकेशंस ग्रुप के खिलाफ है. एजेंसी के आरोप पत्र व एफआईआर के
आंकड़ों के अनुसार समूह ने 3000 करोड़ रूपये का घपला किया.


   
सीबीआई का कहना है कि उसने नोएडा, मुंबई, कोलकाता व अन्य जगहों पर डिजिटल स्टूडियो स्थापित करने के लिए बैंक लोन लिए और उसके हेरफेर के लिए 98 से अधिक मुखाटा
कंपनियों का इस्तेमाल किया.
 
आरोप है कि इन कंपनियों ने 802 करोड़ रपये का फर्जी शेयर पूंजी निवेश दिखाते हुए धन की हेरफेर की. इस मामले में आरोपित कोलकाता की मुखौटा कंपनियां कथित तौर पर
मुरलीधर लाहोटी की हैं. इस मामले में तीन चार्टर्ड एकाउंटेंट का नाम भी आया है.
  
जूम डेवलपर्स के खिलाफ 26 बैंकों के समूह से 2600 करोड़ रपये के बैंक कोष को इधर उधर करने के 14 मामले हैं.
  
सीबीआई ने एनएसईएल घोटाले में जिग्नेश शाह व अंजनी सिन्हा के खिलाफ दो मामले पंजीबद्ध किए थे. इस घोटाले में 342 करोड़ रूपये के धन का कथित हेरफेर हुआ.

 

भाषा


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