गरीब बच्चों के भविष्य को संवार रही है योगी सरकार, दो वर्षों में भरी 436 करोड़ रुपये की फीस प्रतिपूर्ति
योगी सरकार गरीब और लाभ से वंचित बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराकर उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से लगातार प्रयासरत है। इस दिशा में मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराने के अभियान के तहत लाभान्वित बच्चों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।
यूपी सरकार गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से हरसंभव प्रयास |
शैक्षिक सत्र 2022-23 में 71,214 बच्चों के मुकाबले सत्र 2024-25 में इस योजना के अंतर्गत 1,14,196 बच्चों का नामांकन हुआ है, जो कि पिछले वर्षों की तुलना में एक बड़ा उछाल है। इसके अतिरिक्त, वर्तमान में राज्य भर के 5 लाख से अधिक बच्चे निजी विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इस उपलब्धि के लिए योगी सरकार ने बच्चों की शिक्षा में निवेश को बढ़ावा दिया है। पिछले दो वित्तीय वर्षों में 436 करोड़ रुपये की फीस प्रतिपूर्ति का भुगतान किया गया है, जिससे विद्यालयों को इन बच्चों को बिना किसी बाधा के प्रवेश देने में सहायता मिली है।
योगी सरकार का यह कदम न केवल गरीब एवं अलाभित बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ रहा है, बल्कि उनके भविष्य को भी संवारने में योगदान दे रहा है। योजना के प्रभावी क्रियान्वयन और सतत सुधार से स्पष्ट है कि सरकार प्रदेश के वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षा का अधिकार देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
यूपी सरकार गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से हरसंभव प्रयास कर रही है। सरकार में आते ही वर्ष 2017 में आरटीई अधिनियम के इस योजना का विस्तार किया गया। प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए एनआईसी (नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर) द्वारा एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया गया, जिससे नामांकन प्रक्रिया को डिजिटल और अधिक प्रभावी बनाया गया। इसके बाद सत्र 2020-21 से इस योजना का विस्तार ग्रामीण क्षेत्रों में भी हुआ, जिससे पूरे राज्य के अधिक से अधिक बच्चों को इसका लाभ मिलना सुनिश्चित हुआ। परिणामस्वरूप, अभिभावक अब अपने निकटवर्ती विद्यालयों में ऑनलाइन आवेदन कर रहे हैं और इस योजना का अधिक लाभ ले रहे हैं।
शैक्षिक सत्र 2022-23 में 71,214 बच्चों का नामांकन हुआ था, जो 2024-25 में बढ़कर 1,14,196 हो गया। साथ ही, राज्य के 5 लाख से अधिक बच्चे अब निजी विद्यालयों में अध्ययन कर रहे हैं। इस सफलता के लिए सरकार ने बच्चों की शिक्षा में निवेश को बढ़ाया और केवल पिछले दो वित्तीय वर्षों में ही 436 करोड़ रुपये की फीस प्रतिपूर्ति का भुगतान किया है, जिससे विद्यालय अब ऐसे बच्चों को निर्बाध प्रवेश दे रहे हैं।
योगी सरकार के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने बताया कि आरटीई के तहत बच्चों का समय पर नामांकन सुनिश्चित करने के लिए सत्र 2025-26 के लिए 4 चरणों में आवेदन प्रक्रिया का निर्धारण किया गया है, जो क्रमशः 1 दिसंबर, 1 जनवरी, 1 फरवरी और 1 मार्च से उस महीने की 19 तारीख तक चलती रहेगी। प्रत्येक चरण के लिए लॉटरी और नामांकन की तारीखें तय हैं, इससे आवेदन प्रक्रिया में कोई देरी नहीं होनी चाहिए। आवेदन के दौरान अभिभावकों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए विभिन्न जिलों में हेल्पडेस्क की व्यवस्था है। एनएसएस और एनसीसी के स्वयंसेवकों की मदद से ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता और आवेदन प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन भी सहयोग कर रहा है, जिससे आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र जैसे आवश्यक दस्तावेजों की सुविधा प्रदान कर नामांकन प्रक्रिया को सरल बनाया जा रहा है।
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लखनऊ
योगी सरकार गरीब और लाभ से वंचित बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराकर उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से लगातार प्रयासरत है। इस दिशा में मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराने के अभियान के तहत लाभान्वित बच्चों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।
शैक्षिक सत्र 2022-23 में 71,214 बच्चों के मुकाबले सत्र 2024-25 में इस योजना के अंतर्गत 1,14,196 बच्चों का नामांकन हुआ है, जो कि पिछले वर्षों की तुलना में एक बड़ा उछाल है। इसके अतिरिक्त, वर्तमान में राज्य भर के 5 लाख से अधिक बच्चे निजी विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इस उपलब्धि के लिए योगी सरकार ने बच्चों की शिक्षा में निवेश को बढ़ावा दिया है। पिछले दो वित्तीय वर्षों में 436 करोड़ रुपये की फीस प्रतिपूर्ति का भुगतान किया गया है, जिससे विद्यालयों को इन बच्चों को बिना किसी बाधा के प्रवेश देने में सहायता मिली है।
योगी सरकार का यह कदम न केवल गरीब एवं अलाभित बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ रहा है, बल्कि उनके भविष्य को भी संवारने में योगदान दे रहा है। योजना के प्रभावी क्रियान्वयन और सतत सुधार से स्पष्ट है कि सरकार प्रदेश के वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षा का अधिकार देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
यूपी सरकार गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से हरसंभव प्रयास कर रही है। सरकार में आते ही वर्ष 2017 में आरटीई अधिनियम के इस योजना का विस्तार किया गया। प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए एनआईसी (नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर) द्वारा एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया गया, जिससे नामांकन प्रक्रिया को डिजिटल और अधिक प्रभावी बनाया गया। इसके बाद सत्र 2020-21 से इस योजना का विस्तार ग्रामीण क्षेत्रों में भी हुआ, जिससे पूरे राज्य के अधिक से अधिक बच्चों को इसका लाभ मिलना सुनिश्चित हुआ। परिणामस्वरूप, अभिभावक अब अपने निकटवर्ती विद्यालयों में ऑनलाइन आवेदन कर रहे हैं और इस योजना का अधिक लाभ ले रहे हैं।
शैक्षिक सत्र 2022-23 में 71,214 बच्चों का नामांकन हुआ था, जो 2024-25 में बढ़कर 1,14,196 हो गया। साथ ही, राज्य के 5 लाख से अधिक बच्चे अब निजी विद्यालयों में अध्ययन कर रहे हैं। इस सफलता के लिए सरकार ने बच्चों की शिक्षा में निवेश को बढ़ाया और केवल पिछले दो वित्तीय वर्षों में ही 436 करोड़ रुपये की फीस प्रतिपूर्ति का भुगतान किया है, जिससे विद्यालय अब ऐसे बच्चों को निर्बाध प्रवेश दे रहे हैं।
योगी सरकार के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने बताया कि आरटीई के तहत बच्चों का समय पर नामांकन सुनिश्चित करने के लिए सत्र 2025-26 के लिए 4 चरणों में आवेदन प्रक्रिया का निर्धारण किया गया है, जो क्रमशः 1 दिसंबर, 1 जनवरी, 1 फरवरी और 1 मार्च से उस महीने की 19 तारीख तक चलती रहेगी। प्रत्येक चरण के लिए लॉटरी और नामांकन की तारीखें तय हैं, इससे आवेदन प्रक्रिया में कोई देरी नहीं होनी चाहिए। आवेदन के दौरान अभिभावकों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए विभिन्न जिलों में हेल्पडेस्क की व्यवस्था है। एनएसएस और एनसीसी के स्वयंसेवकों की मदद से ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता और आवेदन प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन भी सहयोग कर रहा है, जिससे आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र जैसे आवश्यक दस्तावेजों की सुविधा प्रदान कर नामांकन प्रक्रिया को सरल बनाया जा रहा है।
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