राजधानी में 40 फीसद वृद्ध एकाकी जीवन जीने को मजबूर
‘ओल्ड इज गोल्ड’ की अवधारणा पर चलने वाले भारत में बुजुगरे की चुनौतियां कम नहीं हैं.
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उम्र का लंबा अनुभव होने के बावजूद जहां कई परिवारों में वे बोझ समझे जा रहे हैं, वहीं बहुत से मामलों में अकेलेपन के दंश से भी जूझ रहे हैं. बुजुगरे के कल्याण की दिशा में काम करने वाले संगठन एजिंग के प्रमुख एम चंद्रबाबू के अनुसार महानगरों में खासकर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलुरू में बुजुदरे का जीवन काफी हद तक समस्याओं से घिरा है, जिसे सुधारने की दिशा में काम करना इस वर्ग के पुनर्वास के लिए बहुत जरूरी है.
चंद्रबाबू के मुताबिक, एक अनुमान के मुताबिक, भारत में महानगरों में बुजुगरे की संख्या 10 लाख से भी ज्यादा है, लेकिन इनमें से ऐसे सिर्फ कुछ हजार ही अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं. बुजुर्गावस्था और अकेलापन एक घातक संयोग है, जो पश्चिमी समाज की तरह अब हमारे समाज को भी अपने शिकंजे में ले रहा है.
ओल्ड एज होम की अवधारणा को ही गलत बताते हुए चंद्रबाबू कहते हैं कि पश्चिम से आई यह परंपरा हमारे समाज के अनुरूप नहीं है और हमें समय रहते इस बात को समझना चाहिए कि जीवन की छांव में व्यक्ति को सुख-सुविधाओं की नहीं, बल्कि अपनों की जरूरत होती है, जो उन्हें कोई ‘ओल्ड एज होम’ नहीं दे सकता. विश्व स्वास्थ्य संगठन अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस पर बुजुगरे के लिए उचित स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े कई कार्यक्रम आयोजित करता है. मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के डीन डा. एके अग्रवाल के मुताबिक एकल परिवार एवं पति पत्नी के नौकरी के प्रति रुझान ने बुजुगरे के हितों को कम कर दिया है. वे एकाकी महसूस करते है. एक अध्ययन में यह भी पाया गया है कि दिल्ली के कुल बुजुगरे में से 40 फीसद अब भी अकेले रह रहे हैं. उनमें असुरक्षा का बोध है, उनके बच्चे या तो विदेश में हैं, या फिर दूसरी जगह रहते हैं, जो सप्ताह या महीने में एकबार ही उनका हालचाल जानने के लिए आते हैं.
दिल्ली विविद्यालय की पूर्व अध्यापिका सुहासिनी कहती है कि शहरों में बुजुर्ग अपने नाती-पोतों के लिए ‘स्कूल डे पेरेंट्स’ बनते जा रहे हैं. महानगरों के कामकाजी मां-बाप अपने बच्चों को कामकाजी दिनों में देखभाल के लिए अपने माता-पिता के साथ रखते हैं और छुट्टी के दिनों में ये बच्चे अपने मां-बाप के साथ रहते हैं. इससे भले ही कामकाजी दंपत्ति का काम सध जाता हो,पर बुजुर्ग इस बारे में क्या सोचते हैं, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.
सुहासिनी कहती हैं,‘शहरी भारत में सामाजिक ताना-बाना जैसा होता जा रहा है, वह जीवन की छांव के लिए बहुत खतरनाक है. अखबारों में आए दिन आती बुजुगरे की आत्महत्या और उनकी हत्याओं से जुड़ी खबरें इसी का एक परिणाम हैं. तुलनात्मक तौर पर तो मझोले शहरों और कस्बों में आज भी स्थिति बेहतर है जिसके चलते बुजुर्गावस्था में आदमी छोटे शहरों की ओर रुख करने लगता है.
बुजुगरे को साधारण में Rs50 और एसी बसों में Rs150 का पास
डीटीसी ने सीनियर सिटिजन दिवस 1 अक्टूबर से सीनियर सिटिजन पास के लिए आय सीमा को समाप्त करने तथा दृष्टिहीनों को वातानुकूलित बसों में भी फ्री यात्रा की सुविधा देने का निर्णय लिया है. इसके अलावा दिल्ली परिवहन निगम की बसों में यात्रियों की सुविधा के लिए मेट्रो की तर्ज पर उद्घोषणा की जाएगी. यह जानकारी शुक्रवार को परिवहन मंत्री अरविन्दर सिंह लवली ने दी.
परिवहन मंत्री अरविन्दर सिंह लवली ने शुक्रवार को पत्रकारों को बातचीत में बताया कि दिल्ली परिवहन निगम की बसों में सीनियर सिटिजन के लिए निर्धारित एक लाख की आय सीमा को समाप्त कर दिया गया है. अब कोई भी वरिष्ठ नागरिक, जिसकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक हो, वह मात्र 50 रुपये में गैर वातानुकूलित एवं 150 रुपये में वातानुकूलित बसों में एक माह तक यात्रा कर सकता है.
उन्होंने बताया कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए वर्तमान में परिवहन निगम द्वारा लगभग 4.5 लाख रियायती पास जारी किये जाते हैं. उन्होंने बताया कि दृष्टिहीन यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह फैसला किया है कि उनको जारी किये जाने वाले फ्री बस पास अब वातानुकूलित बसों में भी लागू होंगे. उन्होंने कहा कि दिल्ली परिवहन निगम की बस सेवा में सुधार की वजह से प्रतिदिन दैनिक आय 75 लाख से बढ़कर 3.5 करोड़ रुपये हो गयी है. उन्होंने बताया कि 3700 लो फ्लोर बसों में ग्लोबल पोजिसनिंग सिस्टम (जीपीएस) लगाये गये हैं जिनकी मदद से बसों की नियमित आवाजाही, समय-सारिणी सहित बस ट्रिप मिसिंग पर कारगर निगरानी की जा सकती है.
जीपीएस पण्राली द्वारा परिवहन निगम की सेवाओं को और अधिक विसनीय, बेहतर और सुगम बनाया जा रहा है जिसकी वजह से दिल्ली में होने वाले गंभीर सड़क दुर्घटनाओं में कमी आयी है. उन्होंने बताया कि यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बस के अंदर समय और तापमान के अलावा अन्य जरूरी सूचनाओं के लिए मॉनीटर लगाये जायेंगे जिन पर गंतव्य स्थान की सूचना समय-समय पर प्रसारित होती रहेगी. इसके अलावा मेट्रो की तर्ज पर यात्री उद्घोषणा पण्राली भी शीघ्र प्रारम्भ की जायेगी.
उन्होंने बताया कि यात्री सूचना पण्राली दिल्ली के लगभग 500 बस स्टेंड पर लगायी जायेगी जिसका काम प्रायोगिक तौर पर प्रारम्भ हो चुका है. यात्री सूचना पण्राली लगाये जाने वाले ये बस स्टेंड बीआरटी सहित दक्षिणी दिल्ली और मध्य दिल्ली में स्थित हैं. यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अगले चरण में दिल्ली के सभी बस क्यू शैल्टरों पर यात्री सूचना पण्राली शुरू की जायेगी, जिससे बसों की आवागमन की वास्तविक जानकारी एवं समय-सीमा यात्रियों को मिल सकेगी. दिल्ली परिवहन निगम का मासिक और दैनिक पास के तौर पर स्मार्ट कार्ड बनाया जायेगा. उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली परिवहन निगम की बसों में ई-टिकटिंग मशीन लगाने का काम जल्द शुरू किया जायेगा तथा आटोमेटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम भी यथाशीघ्र लागू किये जाने की योजना है.
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