समझदारी दिखाए हमास
जनवरी में हुए युद्ध विराम से लगने लगा था कि शायद कोई ऐसा मजबूत समझौता हो जाएगा जिससे मध्य-पूर्व की स्थिति में लंबे समय से सामने आ रहा तबाही का मंजर बदल जाएगा और फिलिस्तीनियों को अपने आपको फिर से खड़ा करने के लिए थोड़ी राहत मिलेगी।
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लेकिन गाजा पट्टी में इजरायल के अचानक हुए हमले में एक बार फिर शांति की संभावनाओं को अनिश्चितता की ओर धकेल दिया है। हमले में चार सौ लोगों के मारे जाने का समाचार है जिनमें बड़ी संख्या में औरतें और बच्चे भी हैं।
वैसे तो युद्ध का अपना तर्क होता है कि बम और गोलियां चाहे जिस ओर से चलें और चाहे जिस पर चलें बूढ़े-बच्चों का भेद नहीं करती हैं। हमास ने भी 7 अक्टूबर, 2023 के हमले में भयानक बर्बरता का परिचय दिया था और उसमें भी औरतों और बच्चों का कोई लिहाज नहीं किया गया था।
लेकिन मानवीयता कहती है कि बर्बरता का उत्तर हमेशा बर्बरता ही नहीं होता। हालांकि इजरायल ने कहा कि उसने यह हमला इसलिए किया कि हमास ने शेष बंधकों को रिहा करने और युद्ध विराम को आगे बढ़ाने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। इसका मतलब कि हमास युद्ध विराम के नियमों का पालन नहीं कर रहा था और उन बंधकों को भी वापस नहीं कर रहा था जिनकी वापसी इस युद्ध समाप्ति की पहली शर्त है।
यह भी पता नहीं है कि जिन बंधकों की रिहाई की बात हो रही है, वे किस हालत में हैं, जीवित भी हैं या नहीं। बहुत से बंधकों के मरने की खबर आ चुकी है। इस मामले में हमास की अस्पष्टता ने मामले को उलझाया ही है जिसको इजरायल ने अपने आक्रमण का बहाना बनाया है। राष्ट्रपति ट्रंप के आने के बाद से रणनीतिक परिस्थितियां इजरायल के पक्ष में आ गई हैं।
वर्तमान हालात को देखते हुए हमास के लिए यही हितकर होता कि वह इजरायल को नये हमलों के बहाने उपलब्ध नहीं कराता, लेकिन हमास जैसे उग्रवादी संगठन से इस तरह की समझदारी की अपेक्षा नहीं की जा सकती। अगर उसमें सचमुच समझदारी होती तो ऐसा हमला इजरायल पर नहीं किया होता जैसा कि 7 अक्टूबर को किया था।
अब भी हमास समझदारी से काम ले तो कुछ बात बन सकती है अन्यथा इजरायल तो हमास और फिलिस्तीन को नेस्तनाबूद करने के मिशन पर चल ही रहा है। संकेत मिल रहे हैं कि इजरायल नये सिरे से जमीनी सैन्य अभियान शुरू कर सकता है।
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