रेलवे प्रशासन नाकामी का नतीजा
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में अठारह लोगों की मौत हो गई जबकि अनेक घायल हुए हैं। प्रयागराज और मगध एक्सप्रेस के अतिरिक्त विशेष ट्रेनों से महाकुंभ जाने वालों की भीड़ स्टेशन पर बढ़ती जा रही थी।
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रेलवे प्रशासन अत्यधिक भीड़ बढ़ने की वजह से यह घटना घटी बता रहा है। चश्मदीदों और यात्रियों का कहना कि पैदल पुल पर बेतहाशा बढ़ती भीड़ के कारण भगदड़ हुई। रेलवे पर कुछ ट्रेनों के अचानक रद्द करने का आरोप है। हैरत की बात है, रेलवे स्टेशन के प्रवेश द्वार पर कोई ऐसी व्यवस्था नहीं की गई जिससे भीड़ को बाहर ही रोका जा सके। लोगों ने ज्यादा टिकट बुक कराई तब भी रेल-प्रशासन नहीं चेता। कुचल कर मरने की ऐसी घटनाएं प्रशासनिक/व्यवस्थागत असफलता हैं।
इनकी लगातार पुनरावृत्ति बताती है, हम अभी भी उन्नीसवीं सदी में जी रहे हैं। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी और पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का दंभ भरने वालों को इस भीषण भगदड़ में मारे जाने वालों के प्रति तनिक क्षोभ नहीं होता। महाकुंभ में डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा अयोध्या और वाराणसी में भी प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन करने के दौरान भी हो रहा है। मगर वहां की अव्यवस्था को लेकर भी खबरें न के बराबर आ रही हैं।
नि:संदेह इतनी भारी भीड़ को संभालने में मुट्ठी भर पुलिसकर्मी कभी सफल नहीं हो सकते। कुंभ के दरम्यान मची भगदड़ के बाद की तरह इस बार भी विपक्ष द्वारा सरकार पर मृतकों और घायलों की संख्या छिपाने का आरोप लगाया जा रहा है। अपनी नाकामी छिपाने तथा सच्चाई पर परदा डालने की बजाय सरकार को इन मौतों से सबक लेने के प्रयास करने चाहिए। भीड़ को नियंत्रित करने और सटीक अंदाजा लगाने वालों को प्रथम पंक्ति में लाना होगा।
अक्षम अधिकारियों पर सख्ती करनी होगी, उन्हें सिर्फ घुड़की देने की रवायत के बाद हाथ झाड़ कर नहीं बैठना चाहिए। इस तरह के किसी भी बड़े आयोजन के लिए विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों को स्पष्ट दायित्व दिए जाने चाहिए। जनता की जान की कीमत कम कर आंकने की आदत पर सरकार को पश्चाताप करना चाहिए। श्रद्धालुओं को आमंत्रित करने और जबरदस्त प्रचार करने वालों को भारी संख्या में आने वालों को संभालने का तरीका भी खोजना होगा। अपनी पीठ खुद थपथपाने वालों को संवेदनशीलता से विचार करना ही होगा ताकि इस तरह की किसी भी दुर्घटना की पुनरावृत्ति से बचा जा सके। खासकर पर्व आयोजन जैसे अवसरों पर पूरी तैयारी जरूरी है।
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