शुतुरमुर्ग न बनें
भारत निर्वाचन आयोग ने आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल से कहा है कि यमुना में अमोनिया की मात्रा बढ़ने को नदी को जहरीला बनाने के आरोप से न जोड़ें।
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उनसे यमुना में विषाक्तता के प्रकार, मात्रा, प्रकृति व तरीके के बारे में तथ्यात्मक साक्ष्य उपलब्ध कराने को भी कहा है। ऐसा न करने पर आयोग मामले के संबंध में उचित निर्णय करने को स्वतंत्र होगा। केजरीवाल ने दावा किया था कि हरियाणा सरकार यमुना में जहर घोल रही है। वहां से प्राप्त पानी मानव स्वास्थ्य के लिहाज से दूषित और अत्यंत जहरीला है।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा था कि लोगों को यह जहरीला पानी पीने दिया गया तो स्वास्थ्य संबंधी गंभीर खतरा पैदा होगा और लोगों की मौत होगी। इससे पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने भी चुनाव आयुक्त को पत्र लिख कर यमुना नदी में बढ़ते अमोनिया स्तर पर हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था।
आरोप है कि हरियाणा से आने वाले पानी में अमोनिया का स्तर सात पीपीएम से ऊपर चला गया है जिसे उपचार योग्य सीमा से सात सौ गुना ज्यादा बताया जाता है। अमोनिया के टॉक्सेस लेवल को जल ट्रीटमेंट प्लांट्स प्रभावी ढंग से उपचारित करने में अक्षम हो जाता है। दिल्ली में प्रदूषित पानी की सप्लाई को लेकर लोगों में नाराजगी देखने को मिलती है।
पानी में अमोनिया का स्तर ज्यादा होने पर सांस व गुर्दे से संबंधित रोग हो जाते हैं तथा अंग क्षति की भी आशंकाएं बढ़ जाती हैं। राजधानी में चुनावी आरोप-प्रत्यारोपों का दौर है, इसलिए नेताओं को मुद्दों की तलाश है। ऐसे में जनता में भ्रम फैलाने के प्रति राजनेताओं को संयम बरतना चाहिए।
भारत निर्वाचन आयोग को भी निष्पक्षता से सभी दलों पर नजर रखनी चाहिए। बावजूद इसके कि जहरीला पानी पर रोक लगे या शुद्ध पानी की व्यवस्था हो, सब दोषारोपण में व्यस्त हैं। दस साल से राज कर रहे केजरीवाल पेयजल की शुद्धता को लेकर पहले इतने संवेदनशील क्यों नहीं हुए।
मुफ्त योजनाओं के बूते जनता को बरगलाने वालों को बुनियादी जरूरियात की शुद्धता के प्रति गंभीर होना होगा क्योंकि यह सब भारत निर्वाचन आयोग का अधिकार क्षेत्र नहीं है। केंद्रीय जल आयोग, प्रदूषण नियंतण्रबोर्ड और केंद्र व राज्य सरकार को पेयजल की शुद्धता के प्रति गंभीर होना होगा।
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