हादसों से मुक्त नहीं हुई भारतीय रेल

Last Updated 26 Jan 2025 01:40:24 PM IST

भारतीय रेल को अंतरराष्ट्रीय स्तर की तकनीकी गुणवत्ता से पूर्ण बनाए जाने के दावों और वादों के बावजूद रेल दुर्घटनाएं घट रही हैं।


हादसों से मुक्त नहीं हुई भारतीय रेल

आखिर पटरी पर रेल की विसनीयता कब कायम होगी? पुष्पक एक्सप्रेस में आग लगने की अफवाह के बाद नीचे उतरे यात्रियों को दूसरी ट्रेन ने रौंद डाला। हादसे में 13 यात्रियों की मौत हो गई।
एक तरफ भारत ने मोदी युग में रेल में इतना विकास कर लिया है कि वंदे-भारत एक्सप्रेस रेल यूरोपीय, अमेरिकी और एशियाई देशों में निर्यात होने के दावे किए गए। रेल सुरक्षा की दृष्टि से अनेक तकनीकी उपाय भी किए गए, लेकिन इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि कभी तकनीकी गड़बड़ी, कभी किसी कर्मचारी की लापरवाही या संकेतक की चूक से हादसे निरंतर हो रहे हैं। अफवाह से भी अपवादस्वरूप घटना घट जाती है।

बावजूद रेल सुरक्षा से जुड़े तकनीकि विकास में हम अभी भी पिछड़े हुए हैं। हमने रेल की गति तो बहुत बढ़ा दी, लेकिन भारत में ही विकसित जो स्वदेशी स्वचालित सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ है, उसे अभी पूरे देश में नहीं पहुंचा पाए हैं। फिलहाल रेलवे नेटवर्क में केवल 1455 किमी रेल लाइनों पर ही यह सुविधा काम कर रही है। ज्यादातर रेल हादसे ठीक से इंटरलॉकिंग नहीं किए जाने और मानवरहित रेलवे पार-पथ पर होते रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के केंद्रीय सत्ता पर आसीन होने के बाद ये दावे बहुत किए गए कि डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप के चलते रेलवे के हादसों में कमी आएगी। इसरो ने अंतरिक्ष में उपग्रह छोड़ते समय ऐसे बहुत दावे किए हैं कि रेलवे को ऐसी सतर्कता प्रणाली से जोड़ दिया गया है, जिससे मानव रहित फाटक से रेल के गुजरते समय या ठीक से इंटरलॉकिंग नहीं होने के संकेत मिल जाएंगे।

नतीजतन रेल चालक और फाटक पार करने वाले यात्री सतर्क हो जाएंगे, लेकिन इसी प्रकृति के एक के बाद एक रेल हादसों के सामने आने से यह साफ हो गया है कि आधुनिक कही जाने वाली डिजिटल तकनीक से दुर्घटना के क्षेत्र में रेलवे को कोई खास लाभ नहीं हुआ है। बावजूद रेलवे के आला अफसर दावा कर रहे थे कि पिछले तीन साल में छोटे-मोटे हादसों को छोड़ दिया जाए तो कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, जबकि ओडिसा के बालासोर में दो सवारी गाड़ियों और एक मालगाड़ी की टक्कर में 290 लोगों की मौत हुई थी और 1100 से ज्यादा यात्री घायल हुए थे। भारतीय रेल विश्व का सबसे बड़ा व्यावसायिक प्रतिष्ठान है, लेकिन इस ढांचे को फिलहाल विस्तरीय नहीं माना जाता। गोया इसकी संरचना को विस्तरीय बनाने की दृष्टि से कोशिशें तेज होने के साथ अंजाम तक भी पहुंच रही हैं।  फिलहाल देश में रेलवे विकास एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) और इसरो की मदद से अनेक तकनीकी सुरक्षा पण्रालियां अस्तित्व में लाई गई हैं।

इसरो के साथ शुरू की गई परियोजना के अंतर्गत एक ऐसी सतर्क सेवा शुरू की गई है, जिसके तहत चौकीदार रहित क्रॉसिंग के चार किमी के दायरे में आने वाले सभी वाहन-चालकों और यात्रियों को हूटर के जरिए सतर्क रहने की चेतावनी दी जाने लगी है। इसमें इसरो को उपग्रह की सहायता से रेलों के वास्तविक समय के आधार पर ट्रैक करने के इंतजाम किए गए हैं। इसमें चिप आधारित एक उपकरण रेलों में और एक क्रॉसिंग गेट पर लगाया जाता है। इससे जैसे ही रेल क्रॉसिंग के 4 किमी के दायरे में आती है तो स्वमेव फाटक पर लगा हूटर बजने लगता है। इसके साथ ही रेलवे ने आरडीएसओ को एसएमएस आधारित सतर्कता प्रणाली विकसित की गई है।

इस प्रणाली को रेडियो फ्रीक्वेंसी एंटीना में क्रॉसिंग के आसपास एक किमी के दायरे में सभी रेल चालकों व यात्रियों के मोबाइल पर एसएमएस भेजकर आगे आने वाली क्रॉसिंग और रेल के बारे में सावधान किया जाना है। इसमें जैसे-जैसे वाहन क्रॉसिंग के नजदीक पहुंचता, उसके पहले कई एसएमएस और फिर बुलाकर और अंत में हूटर के मार्फ्त वाहन चालक को सावधान करने की व्यवस्था थी। साथ ही रेल चालक को भी फाटक के बारे में सूचना देने का प्रावधान था, लेकिन अभ्यास के क्रम में यह तकनीक खरी नहीं उतरी। फिर भी रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने की दृष्टि से ऐसे तकनीकी उपाय करने होंगे, जिससे रेल हादसे न हों। ये कब तक विकसित हो पाते हैं, इसका इंतजार करना होगा।

प्रमोद भार्गव


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