दिल्ली चुनाव में घोषणाओं की बरसात
दिल्ली विधानसभा चुनावों में मुफ्त की नगदी बांटने की घोषणाएं हो रही हैं। इसे लेकर राजनीतिक दलों के बीच होड़ लगी हुई है। रेवड़ी बांटने की राजनीतिक प्रवृत्ति का विरोध करने वाली भाजपा भी इस दौड़ में शामिल हो गई है।
दिल्ली चुनाव में घोषणाओं की बरसात |
वह अपने पहले संकल्प पत्र में महिलाओं को 2,500 रुपये प्रति माह, सभी बुजुगरे को सस्ता इलाज, गैस सिलेंडर पर सब्सिडी समेत अन्य लुभावनी घोषणाएं कर चुकी है। भाजपा ने मंगलवार को अपना दूसरा संकल्प पत्र जारी किया है। इसमें ऑटो-टैक्सी चालकों, घरेलू कामगारों और युवाओं के लिए विशेष तौर पर मदद करने की घोषणाएं की गई हैं।
पार्टी ने यूपीएससी और राज्य सिविल सेवा परीक्षाओं के लिए 15 हजार रुपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता देने का वादा किया है। अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए डॉ. अंबेडकर वजीफा योजना के अंतर्गत 1,000 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी पहले ही महिला सम्मान योजना के तहत महिलाओं को प्रति माह 2,100 रुपये देने का वादा कर चुकी है।
बुजुर्गों के लिए संजीवनी स्वास्थ्य सेवाओं के तहत मुफ्त इलाज और ऑटो चालकों के लिए 10 लाख तक का बीमा किया जाएगा। आप 200 यूनिट बिजली मुफ्त पहले से ही दे रही है। कांग्रेस ने भी प्यारी दीदी योजना के तहत महिलाओं को 2,500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया है। दिल्लीवासियों का वह 25 लाख तक मुफ्त इलाज और 300 यूनिट बिजली मुफ्त देगी। भारत की राजनीति में मुफ्त की चीजें बांटने की प्रवृत्ति नई नहीं है।
लेकिन पिछले कुछ वर्षो से इसका चलन बढ़ता गया है और अब यह प्रवृत्ति स्थायी तौर पर स्थापित हो गई है। राजनीतिक दल सार्वजनिक कल्याण करने की अपेक्षा व्यक्तिगत लाभ देने की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। राज्य द्वारा किए जाने वाले सामाजिक-आर्थिक कार्य में अवरोध पैदा होंगे। सड़कें, बांध, अस्पताल आदि सार्वजनिक कल्याण के कार्य के लिए धन कहां से आएगा।
इस विषय पर कोई राजनीतिक दल गंभीरता से विचार नहीं कर रहा है। अगर मुफ्त की रेवड़ी बांटने की प्रवृत्ति चुनावी मॉडल में तब्दील हो गई तो लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए धक्का होगी और आर्थिक व्यवस्था भी बेपटरी हो जाएगी जैसाकि पड़ोसी देश श्रीलंका में हुआ। समय रहते इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए सामाजिक संगठनों को आगे आना होगा।
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