सही दिशा में कश्मीर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कश्मीर के गांदरबल जिले में 6.5 किमी. लंबी जेड मोड़ सुरंग का उद्घाटन करते हुए कहा कि ‘कश्मीर देश का मुकुट है, इसलिए मैं चाहता हूं कि यह ताज और सुंदर तथा समृद्ध हो।’
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उन्होंने आगे यह भी कहा, ‘मैं बस इतना चाहता हूं कि दूरियां अब मिट गई हैं, हमें मिल कर सपने देखना चाहिए, संकल्प लेना चाहिए और सफलता हासिल करनी चाहिए।’ लेकिन इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का दिया गया भाषण ज्यादा महत्त्वपूर्ण और प्रासंगिक है, जिसके अनेक निहितार्थ निकाले जा सकते हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘पंद्रह दिन के अंदर पहले जम्मू को रेलवे डिवीजन और अब टनल, इन परियोजनाओं से न सिर्फ दिल की दूरी, बल्कि दिल्ली से दूरी भी कम हो जाती है।’ प्रधानमंत्री मोदी के भाषण का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री उमर ने कहा, ‘मेरा दिल कहता है कि प्रधानमंत्री बहुत जल्द जम्मू-कश्मीर के लोगों को किया गया अपना तीसरा वादा भी पूरा करेंगे, जो राज्य का दर्जा बहाल करना है।’
मुख्यमंत्री के भाषण से प्रतीत होता है कि उनका कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मोहभंग हुआ है और उन्होंने अच्छी तरह से समझ लिया है कि अगर जम्मू-कश्मीर का विकास करना है और यहां व्यवस्थित सरकार चलानी है तो प्रधानमंत्री मोदी के सहयोग से ही चला सकते हैं, टकराव से नहीं। अगर मोदी का सहयोग मिलता रहेगा तो केंद्र का अनावश्यक हस्तक्षेप भी नहीं होगा। जाहिर है कि इस पर्वतीय प्रदेश में राज्य सरकार और केंद्र के बीच सहयोग से ही लोकतंत्र मजबूत होगा, शांति और स्थिरता आएगी।
आतंकवाद और अलगाववाद परास्त होगा। किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए ये आवश्यक शर्तें हैं। पिछले कुछ वर्षो के दौरान राज्य में आतंकी घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। संतोषजनक विकास भी हुआ है जिसके कारण पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिला है।
राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने भाषण के जरिए समझदारी का परिचय दिया है और अच्छी बात यह है कि यहां के मुसलमान भी अच्छी तरह समझने लगे हैं कि कश्मीर का भविष्य अस्थिर, अराजकताग्रस्त और आर्थिक रूप से संकटग्रस्त पाकिस्तान जैसे देश के साथ नहीं है, बल्कि भारत जैसे लोकतांत्रिक, स्थिर और आर्थिक रूप से मजबूत देश के साथ है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला कश्मीरी अवाम की इसी सोच का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
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