गिरफ्त में भगोड़े
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि समय आ गया है कि अपराध करने के बाद देश फरार भगोड़ों को पकड़ने और उन्हें न्याय के कठघरे में लाने के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करे।
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केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा विकसित भारतपोल पोर्टल लॉन्च करते हुए शाह ने कहा कि इससे देश की हर जांच एजेंसी और पुलिस बल सरलता से इंटरपोल के साथ जुड़ कर जांच को रफ्तार दे सकेगा।
मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन नये आपराधिक कानूनों में आरोपियों की अनुपस्थिति में ट्रायल के प्रावधान को जोड़ने की चर्चा करते हुए उन्होंने हथियारों और मादक पदाथरे व मानव तस्करी और सीमापार होने वाले आतंकवाद के खिलाफ नई व्यवस्था को सहायक बताया।
भारतपोल के पांच प्रमुख प्रारूप कनेक्ट, इंटरपोल नोटिस, रेफरेंस, ब्राडकास्ट और रिसोर्स के माध्यम से कानून प्रवर्तन एजंसियों के लिए तकनीकी रूप से मददगार साबित होने की उम्मीद है। इसके 195 देशों के इंटरपोल से ब्राडकास्ट के जरिए सीधा जुड़ने से दस्तावेज और जरूरी जानकारियों का लेन-देन आसान हो जाएगा।
इसकी विशेषता रिअल टाइम इंटरफेस भी है जो सीधा संवाद स्थापित करेगी। अब तक सीबीआई, आईएओ और यूओ के बीच संचार ई-मेल तथा फैक्स द्वारा ही संभव था। अंतरराष्ट्रीय डाटा सुरक्षित रखने, रेडकॉर्नर नोटिस और अन्य कानूनी नोटिसों के आदान-प्रदान में सहूलियत के साथ ही इंटरपोल के उन्नीस प्रकार के डाटाबेस का विश्लेषण तथा अपराधियों को पकड़ने की व्यवस्था हो सकेगी।
भगोड़े अपराधियों को देश वापस लाने में सरकार को लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं जिससे न केवल देशवासियों के समक्ष, बल्कि अंतरराष्ट्रीय जगत में भी कानूनी पकड़ और न्याय-व्यवस्था को लेकर सवालिया निशान लगते रहते हैं। कड़े कानूनों का लाभ तभी है, जब विदेश में छिपे घोषित अपराधियों की धरपकड़ कर उन्हें सजाएं दी जा सकें।
भगोड़ों को पकड़ कर देश वापस लाने के मोदी सरकार के दावों की लंबे समय से फजीहत होती रही है। तय रूप से शाह इस स्थिति से निकलने के प्रति गंभीर होंगे। बेहतरीन होती विदेश नीति का फायदा लेते हुए सरकार को उच्च तकनीक के मार्फत दुनिया भर के भगोड़े अपराधियों के खिलाफ मुहिम चलाने में आसानी होगी।
हैकर्स और जालसाजों द्वारा अति गोपनीय जानकारी में सेंध लगाने की गुंजाइश पर भी नजर रखी जा सकेगी।
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