सांसद निधि जरूरी
सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना की निधि पांच करोड़ से बढ़ा कर दस करोड़ करने के अनुरोध पर जल्द ही बैठक होगी।
सांसद निधि जरूरी |
राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश इस समिति के अध्यक्ष हैं। आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सदस्य संजीव अरोड़ा ने इस मद की राशि को बढ़ा कर दस करोड़ करने का आग्रह किया था। उनका सुझाव है कि दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित गरीब मरीजों के लिए इस राशि के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाए।
भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित इस योजना के तहत राज्य सभा और लोक सभा सदस्यों को अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए प्रति वर्ष पांच करोड़ की राशि मुहैया करवाई जाती है। 1993-94 में शुरू की गई इस योजना में 1989-99 में राशि बढ़ा कर दो करोड़ कर दी गई जो 2011-12 में पांच करोड़ रुपये की गई।
मगर विभिन्न मंत्रालयों द्वारा सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं में इस राशि को खर्चने के अनुरोध से कुछ विपक्षी सांसद नाराजगी भी जताते रहे हैं। रही बात गरीब मरीजों के इलाज की तो इसके लिए प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना और आयुष्मान योजना का लाभ खुद केंद्र दे रहा है। सांसदों के संज्ञान में आने वाले जरूरतमंदों की सिफारिश उनके द्वारा की जा सकती है। क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को आर्थिक मदद कर वे स्थानीय जनता की सेवा करने को मुक्त हैं।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कुछ सांसद इस राशि का कोई उपयोग नहीं कर पाते। बैंक खातों में यह राशि लंबे अरसे तक पड़ी रह जाती है। इसके दुरुपयोग के आरोप भी कम नहीं लगते। जन प्रतिनिधि जनसुविधाओं या मदद के लिए इतने ही जिम्मेदार हैं तो विभिन्न विभागों, मंत्रालयों या सीधा संबंधित मंत्री को पत्र द्वारा अवगत कराने को तत्पर रहना चाहिए। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जाने वाली विकास योजनाएं जारी रहती हैं।
निस्संदेह निर्वाचित प्रतिनिधियों को सभी जरूरी सुविधाएं और विशेष व्यवस्था प्राप्त होती है। मगर उनमें से अमूमन जनता की पहुंच से दूर हो जाते हैं। इसे लोकतंत्र का दोष माना जाता है।
देश की आर्थिक स्थिति में दिनों-दिन सुधार आता देख संसद सदस्यों का अपने क्षेत्र के विकास के नाम पर इस धन राशि को बढ़ाने की मांग को खारिज भी नहीं किया जा सकता। यह उनकी नैतिक जिम्मेदारी है कि जनता की सहूलियतों और जरूररियात की अनदेखी करने से बचें और इस राशि का भरपूर सदुपयोग करें।
Tweet |