डोनाल्ड ट्रंप का हृदय परिवर्तन

Last Updated 01 Jan 2025 01:33:46 PM IST

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप और जेडी वेंस का प्रशासन 20 जनवरी को कार्यभार ग्रहण कर लेगा। राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप का यह दूसरा कार्यकाल है। इस बीच दुनिया के विभिन्न देशों के विशेषज्ञ इस बात का लेखा-जोखा ले रहे हैं कि ट्रंप प्रशासन की नीतियों से उन पर क्या असर पड़ेगा।


ट्रंप का हृदय परिवर्तन

ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान उनकी आर्थिक संरक्षणवाद, अवैध आव्रजन पर रोक तथा विश्व के अन्य क्षेत्रों में सुरक्षा जिम्मेदारियां को कम करने की उनकी नीतियों का विदेशी और घरेलू मोर्चे पर व्यापक विरोध हुआ था। इस बार के चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्होंने अपनी संरक्षणवादी नीतियों को आगे बढ़ाने और आव्रजन नीतियों को सख्त करने का मुद्दा उठाया था।

लेकिन नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मंत्रिमंडल में शामिल किए गए प्रमुख उद्योगपति टेस्ला के मालिक एलन मस्क और भारतीय मूल के तकनीकीविद विवेक रामास्वामी के हस्तक्षेप और विरोध के बाद एच 1 बी वीजा के प्रति ट्रंप का हृदय परिवर्तित हो गया है। उन्होंने एच 1 बी वीजा को कायम रखने की बात कह कर सबको चौंका दिया है।

ट्रंप ने पिछले सप्ताह एक साक्षात्कार में कहा कि मुझे हमेशा से वीजा पसंद रहा है। ट्रंप के इस बदले रुख से उनके रूढ़िवादी आधार में विभाजन हो गया है और दो गुट उभर आए हैं। एक गुट एच 1 बी वीजा पर पूर्ण प्रतिबंध चाहता है तो दूसरा इसे अमेरिका की जरूरतों के लिए अनिवार्य मानता है। ऐसा समझा जा रहा है कि विशेषकर एलन मस्क के कारण ट्रंप के रुख में बदलाव आया है। यह भारत से अमेरिका गए लाखों विशेषज्ञ और पेशेवरों के लिए राहत की बात है।

अमेरिकी कंपनियां प्रत्येक वर्ष करीब 65 हजार पेशेवरों की नियुक्तियां करती हैं जिनमें 70 फीसद भारतीय होते हैं। जाहिर है कि इस पर प्रतिबंध लगाने से सबसे अधिक प्रभावित भारतीय ही होते। अमेरिका के लिए एच 1 बी वीजा इसलिए जरूरी है कि वहां इतने पेशेवर, कुशल तकनीशियन, चिकित्सक नहीं हैं जिनसे अमेरिकी कंपनियां अपने कारोबार का संचालन कर सके। हकीकत यह है कि अमेरिका को टेक्नोलॉजी की दुनिया में शीर्ष पर लाने में प्रवासियों की बहुत बड़ी भूमिका है।

एलन मस्क इस सच्चाई को जानते हैं। इसलिए उन्होंने एच 1 बी वीजा पर प्रतिबंध लगाने की नीति का जमकर विरोध किया। अगर इसमें कुछ कमियां हैं तो इसे सुधारा जाना चाहिए। बहरहाल, ट्रंप के रूप में आए बदलाव से भारत के पेशेवरों के साथ अमेरिकी हितों को भी लाभ होगा।



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