सहयोग और निगरानी

Last Updated 21 Dec 2024 01:27:10 PM IST

भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों अजित डोभाल और वांग यी के बीच हुई 23 में बैठक में से इस बात के स्पष्ट संकेत मिले हैं कि दोनों देशों के आपसी रिश्ते प्रगति की ओर अग्रसर हैं।


 इससे पहले रूस में आयोजित ब्रिक्स शिखर वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 23 अक्टूबर को बातचीत हुई थी जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को फिर से बहाल करने पर जोर दिया गया था। डोभाल और वांग ने वार्ता के दौरान विश्वास प्रकट किया कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चार साल तक चले सैन्य गतिरोध से सबक लेना महत्त्वपूर्ण है।

दोनों नेताओं ने सीमा पर तनाव के कारण पटरी पर से उतरे अन्य पहलुओं पर भी चर्चा की। इस बैठक की महत्त्वपूर्ण बात यह भी रही कि भारत और चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा, सीमा पर नदी सहयोग और नाथूला सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है। भारत और चीन के बीच पांच साल के अंतराल के बाद विशेष प्रतिनिधियों की यह महत्त्वपूर्ण बैठक द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने के एजेंडे पर आधारित थी। दोनों पक्षों ने निष्पक्ष, तर्कसंगत और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य ढांचा के तहत सीमा विवादों को हल करने पर जोर दिय। लेकिन सीमा विवाद एक ऐसा जटिल मुद्दा है जिसको हल करने की दिशा में दोनों देशों का नजरिया अलग-अलग है।

इसको लेकर भारत और चीन के बीच कई चक्र की वार्ता हो चुकी है, लेकिन चीन इसे हल करने की दिशा में कभी गंभीर नहीं रहा। चीन चाहता है कि सीमा के मूल मुद्दों को अलग करके द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाया जाए, जबकि नई दिल्ली का विश्वास है कि सीमा विवाद के मसले जब तक हल नहीं होंगे, आपसी रिश्ते असहज बने रहेंगे। यह मसले कुछ इसी तरह के हैं कि भारत सीमा पर आतंक को रोकने के बाद ही पाकिस्तान से रिश्ते सहज होने की बात करता है।

जाहिर है जब तक भारत चीन सीमा पर शांति और स्थिरता नहीं रहेगी तब तक आपसी रिश्ते भला कैसे सामान्य हो सकते हैं। विशेष प्रतिनिधियों की बातचीत के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य सहमति की संभावित कमी को इशारा करता है। चीन के वक्तव्य में सर्वसम्मति के छह सूत्रों का उल्लेख किया गया है जबकि भारत की ओर से इस तरह के किसी सर्वसम्मति का हवाला नहीं दिया गया है। हालांकि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लंबे सैन्य गतिरोध से बाहर निकलना और द्विपक्षीय संबंधों को समान स्तर पर बहाल करने की दिशा में आगे बढ़ाना अच्छे संकेत हैं, लेकिन भारत चीन की सीमा महत्त्वाकांक्षा पर भारत को पैनी नजर रखनी होगी।



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