US Presidential Election : कमला बनाम उषा

Last Updated 03 Nov 2024 01:29:06 PM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय मूल के मतदाताओं पर इस बार दोनों राजनीतिक दलों की तरफ से विशेष ध्यान दिया जा रहा है।


कमला बनाम उषा

इस रोचक तथ्य की चर्चा हो रही है कि व्हाइट हाउस में या तो अमेरिका की प्रथम महिला अथवा अमेरिका की द्वितीय महिला भारतीय मूल की होगी। चुनाव में यदि डेमोक्रेटिक पार्टी जीतती है तो राष्ट्रपति के रूप में कमला देवी हैरिस देश की पहली महिला होंगी। यदि रिपब्लिकन पार्टी जीती है तो उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जेडी वेंस की पत्नी उषा चिलुकुरी देश की द्वितीय महिला होंगी।

कांटे के टक्कर वाले राष्ट्रपति चुनाव में कई राज्य ऐसे हैं जहां बहुत कम मतों से हार जीत का फैसला होगा। इन राज्यों में भारतीय मूल के मतदाताओं के निर्णायक भूमिका हो सकती है। यही कारण है कि चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप भारतीय मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों उम्मीदवारों ने भारतीय मतदाताओं को दिवाली की शुभकामनाएं दी है। ट्रंप ने अपने संदेश में हिन्दू मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की कोशिश की है।

उनका रवैया इस्लामी उग्रवाद और जेहादी आतंकवाद के खिलाफ रहा है। दूसरी ओर कमला हैरिस ने बांग्लादेश की स्थिति पर कोई बयान नहीं दिया है। यह माना जाता है कि बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट में बाइडेन प्रशासन की भूमिका रही है। इतना ही नहीं अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को अमेरिका का कठपुतली माना जाता है। चुनाव सर्वेक्षणों से अभी यह स्पष्ट नहीं है कि जीत किसको मिलेगी। अनेक राज्यों में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप को एक जैसा समर्थन दर्शाया जा रहा है। वर्ष 2016 के चुनाव में हेलरी क्लिंटन को बढ़त बताई जा रही थी, लेकिन अंतत: जीत ट्रंप की हुई। यदि इतिहास अपने को दोहराता है तो डोनाल्ड ट्रंप के जीतने की अधिक संभावना है।

दुनिया भर में विश्लेषक इस बात का लेखा-जोखा ले रहे हैं कि अमेरिका में नया प्रशासन कैसी विदेश नीति अपनाता है। यदि कमला हैरिस जीतती हैं तो विदेश नीति में निरंतर कायम रहेगी। रूस के खिलाफ यूक्रेन को सैनिक और आर्थिक सहायता जारी रहेगी। साथ ही पश्चिम एशिया में थोड़े बहुत दिखावे के साथ नेतन्याहू सरकार को समर्थन जारी रहेगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गाजा में नरसंहार और मानव त्रासदी को रोकने में किसी भी उम्मीदवार की दिलचस्पी नहीं है। इसके विपरीत उम्मीदवारों में इस बात की होड़ है कि कौन इस्रइल का ज्यादा हिमायती है।

यूक्रेन संघर्ष एक ऐसा विषय है जिस पर दोनों प्रतिस्पर्धी उम्मीदवारों में मूलभूत विरोध है। ट्रंप यूक्रेन संघर्ष के संबंध में रूस के प्रति सकारात्मक रूप अपनाते हैं। ट्रंप और उनके सलाहकारों का मानना है कि अमेरिका और चीन की चुनौती का सामना करने के लिए रूस के समर्थन की आवश्यकता है। वे रूस और चीन के बीच कायम गठजोड़ को तोड़ने की नीति अपनाई जाने की वकालत कर रहे हैं। वैसे किसी भी देश की विदेश नीति पूरी तरह व्यक्ति केंद्रित नहीं हो सकती। देश का सत्ता प्रतिष्ठान राष्ट्रीय हितों के अनुरूप नीतियों को आगे बढ़ता है। फिर भी राष्ट्रपति नीतियों को कुछ हद तक एक निश्चित दिशा दे सकता है।

बाइडेन प्रशासन ने अपने कार्यक्रम में दुनिया भर में अपने सहयोगियों के साथ नये गुट तैयार किए थे। इस दौरान पूरा यूरोप और कई तटस्थ देश रूस के खिलाफ लामबंदी में शामिल हो गए थे। इसी तरह पूर्व में एशिया में चीन के खिलाफ लामबंदी में जापान, दक्षिण कोरिया और फिलिपींस शामिल हो गए थे। ट्रंप प्रशासन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अकारण हस्तक्षेल करने की नीति के खिलाफ रहा है। ट्रंप को समर्थन देने वाले रॉबर्ट कैनेडी और तुलसी गोबार्ड जैसी नेता हस्तक्षेप करने वाली विदेश नीति के घोर विरोधी हैं। नये प्रशासन में इन दोनों नेताओं को प्रमुख जिम्मेदारी सौंप जाने की संभावना है।

डॉ. दिलीप चौबे


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