'बंटेंगे तो कटेंगे' के समर्थन के मायने

Last Updated 28 Oct 2024 12:51:29 PM IST

'बंटेंगे तो कटेंगे’ को हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए, यह हिंदू एकता व लोक कल्याण के लिए जरूरी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने इसे जीवन मंत्र जैसा बताते हुए कहा।


समर्थन के मायने

वे मथुरा में संघ की वाषिर्क बैठक के समापन पर संवाददाताओं से बात कर रहे थे, जिसमें देश भर से आए संघ के पदाधिकारी शामिल हुए। होसबोले ने कहा यदि हम जाति, भाषा या प्रांत के भेद से बंटेंगे तो निश्चित रूप से कटेंगे।

योगी आदित्यनाथ ने हरियाणा विधानसभा की चुनावी रैली के दौरान हिन्दुओं को जातियों में बांटने की विपक्षी दलों की रणनीति के प्रति आगाह किया था। होसबोले इसी बयान का समर्थन करते नजर आए। उन्होंने स्पष्ट किया, लोग इसे समझ रहे हैं और लागू कर रहे हैं।

हिन्दुओं को तोड़ने के लिए लोग काम कर रहे हैं, जैसे आरोप लगाते हुए उन्होंने दावा किया कि दुनिया में कोई भी हिन्दू कहीं परेशान होता है तो भारत की तरफ देखता है।

लड़कियों को लव जेहाद से बचाने की बात उठाते हुए दत्तात्रेय ने केरल में दो सौ लड़कियों को इससे बचाने की बात भी दोहराई जो पहले ही विवादों में है। संघ हिन्दू राष्ट्रवादी स्वयंसेवक संगठन है, जो भाजपा की रीढ़ माना जाता है।

देश भर में संघ की हजारों शाखाएं हैं, जिनमें लाखों की संख्या में स्वयंसेवक शामिल हैं। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से संघ के तेवर काफी सख्त हुए हैं। संघ पदाधिकारी, स्वयंसेवक कट्टर तथा उग्र हिन्दूवादी बातों के कारण विवादों में बने रहते हैं।

इन्हें सरकार का परोक्ष/अपरोक्ष पूर्ण समर्थन प्राप्त है। लव जेहाद को मुद्दा बना कर ये प्रेमी युगल को निशाने पर रखने पर नहीं चूकते। अल्पसंख्यकों के प्रति असहिष्णुता बरतने का यह उनका विशेष तरीका है। धर्म के नाम पर देशवासियों के बीच दरार डालने वाले पूरे दमखम से जातियों, भाषाओं और प्रांतों के बंटवारे को रोकना चाहते हैं।

सर्वधर्म समभाव की बजाय कुछ लोगों को डरा-धमका कर समाज में वैमनस्य फैलाना शोभा नहीं देता। मोदी के मुसलसल तीसरी बार सरकार बनने से उत्साहित कुछ लोगों को भ्रम था कि भारत हिन्दू राष्ट्र की पताका फहराने में कामयाब हो सकता है।

मगर विश्व पटल पर देश की छवि और प्रतिष्ठा को देखते हुए सरकार ऐसी कोई मंशा रखती नहीं नजर आती। इतने समर्पित संगठन को देश की अखंडता और शांति को विस्तार देने जैसे सार्थक कदम उठाने का प्रयास करना चाहिए।



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