तृणमूल कांग्रेस सांसद की बचकानी हरकत

Last Updated 24 Oct 2024 12:11:17 PM IST

वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय बैठक में तीखी बहस हुई। तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने गुस्से में कांच की बोतल तोड़ कर फेंकी जो समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पॉल को लगी जिससे वह चुटहिल होने से बाल-बाल बचे।


तृणमूल कांग्रेस सांसद की बचकानी हरकत

पॉल ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि ईश्वर उन्हें सद्बुद्धि दे। वह सारी सीमाओं को लांघ गए थे। हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। पॉल चार बार लोक सभा सांसद, पांच बार विधानसभा और विधान परिषद में रहे हैं।

उनका कहना है कि चालीस वर्ष के संसदीय कॅरिअर में वे कई कमेटियों के सदस्य भी रहे हैं। हममें मतभेद भी रहे परंतु ऐसी घटना की कल्पना भी नहीं कर सकते। बनर्जी पर गाली-गलौच के भी आरोप हैं। बोतल तोड़ने के दौरान क्रोधित बनर्जी को भी अंगूठे और तर्जनी में चोट आई।

कमेटी ने फौरन ही उन्हें एक दिन की बैठक से निलंबित करने का फैसला किया। तीन बार सांसद चुने गए कल्याण बनर्जी को पद की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए। गोया संसद में सरकार की बखिया उधेड़ते हुए उन्होंने यह सीख तो अवश्य ली होगी।

इस बैठक में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और वकीलों का समूह अपना पक्ष रख रहा था। अपनी बात रख चुके कल्याण बीच में बोलने लगे तो भाजपा सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय ने आपत्ति दर्ज की। इस पर दोनों की तीखी बहस हो गई और आगबबूला बनर्जी ने पानी की बोतल पटक कर तोड़ दी।

कुछ समय पहले कल्याण उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री कर विवादों में आ चुके हैं। वह ममता बनर्जी के वफादारों में शामिल हैं। प्रधानमंत्री से लेकर भगवान राम और सीता पर विवादित टिप्पणी कर राजनीति में भूचाल ला चुके हैं। किसी भी सांसद से इस तरह के बर्ताव की उम्मीद नहीं की जा सकती।

तमाम मतभेदों के बावजूद आप अपना प्रतिरोध जताने को हमेशा स्वतंत्र हैं मगर किसी भी जनप्रतिनिधि से उम्मीद की जाती है कि वह संतुलित और मर्यादित आचरण पेश करे। जाहिर है कि इतने सम्मानित ओहदे पर होने के बावजूद उन्हें अपनी सोच और व्यवहार पर तनिक नियंत्रण नहीं है।

न ही टीएमसी प्रमुख ममता अपने सांसद पर लगाम लगाने को इच्छुक प्रतीत होती हैं। बावजूद इसके कि यह अलोकतांत्रिक और गैर-जिम्मेदाराना रवैया है। सार्वजनिक जीवन में यह कतई शोभा नहीं देता। जनता अपने नुमाइंदों में अपना नायक देखती है जिनसे वह प्रभावित ही नहीं होती, बल्कि सीख भी लेती है। इसीलिए इस बर्ताव की सार्वजनिक निंदा जरूरी है।



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