भारत सरकार की मजबूरी की योजनाएं
भारत सरकार स्पेस सेक्टर में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एक हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की मीटिंग में यह तय हुआ।
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आर्थिक मामलों की समिति ने रेल मंत्रालय के 6,798 करोड़ रुपए के दो प्रस्तावों को भी मंजूरी दी।
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में प्रगति व निजी क्षेत्र की भागीदारी द्वारा भारत के नेतृत्व को मजबूती मिलने की उम्मीद की जा रही है। उत्तर बिहार में रेल विकास के लिए साढ़े चार हजार करोड़ रुपए और आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती को रेलवे से जोड़ने के लिए करीब सवा दो हजार की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।
इस तीसरे कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार अपने पिछले चुनावी वादों को पूरा करने के प्रति प्रतिबद्ध नजर आना चाहती है। बिहार में 256 कलोमीटर की रेल लाइन का दोहारीकरण किया जाएगा, जिससे नेपाल व पूर्वोत्तर का मार्ग जुड़ने से यात्री ट्रेनों के साथ माल-गाड़ियों की आवाजाही में सुविधा हो जाएगी।
एनडीए सरकार बनने बाद से मोदी बिहार और आंध्र को विशेष तवज्जो दे रहे हैं। जेडी (यू) व टीडीपी को संतुष्ट रखने को केंद्र की मजबूरी के तौर पर देखा जा रहा है। दोनों दलों ने उस वक्त मंत्रालयों की बजाए राज्यों के विकास के लिए विशेष पैकेजों की खास शत्रे रखी थीं।
इसलिए इन प्रस्तावों को दिवाली के तोहफे के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि पिछली कैबिनेट बैठक में रेल कर्मचारियों को बोनस व कृषि योजनाओं को मंजूरी दी थी। सरकारी कर्मचारियों के भत्ते व मंहगाई राहत की दरों को बढ़ा कर सरकार ने सबको साधने वाले पुराने नुस्खे को आजमाया है।
बैठक में दिवाली व छठ के लिए स्पेशल ट्रेनों सहित तकरीबन सात हजार ट्रेनें चलाने का भी ऐलान किया। इससे त्योहारों में बड़ी संख्या में घर जाने वाले यात्रियों के लिए सुविधा होगी।
देश के आर्थिक हालात व सीमित आय के दरम्यान किन्हीं अन्य क्षेत्रों में कटौती कर सरकार अपने इन सहयोगी दलों के बड़े हो रहे पेट भरने के प्रयास कर रही है, जबकि केंद्र के लिए हर राज्य की जिम्मेदारी समान है, जिसकी अवहेलना करना उसे शोभा नहीं देता।
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