प्रदूषण के साये में दिल्ली

Last Updated 15 Oct 2024 12:28:15 PM IST

सर्दी आने से पहले ही राजधानी दिल्ली की आबोहवा में प्रदूषण फैलना वाकई चिंता का सबब है। कुछ दिन पहले तक पराली जलाने की घटना से दिल्ली-एनसीआर की हवा में जहर घुला था, और अब दशहरा में आतिशबाजी जलाने के बाद हालात और ज्यादा विकट हो गया है।


प्रदूषण के साये में दिल्ली

दशहरा उत्सव के एक दिन बाद रविवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ से ‘खराब’ श्रेणी में पहुंच गई। उल्लेखनीय है कि महामारी वर्ष को खत्म करना, 2015 के बाद अक्टूबर से दिल्ली के लिए ‘खराब’ वायुयान वाले दिन का यह सबसे देरी से आगमन है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़े के, शहर का एयरोस्पेस मशीनरी (एक्यूआई) जो एक दिन पहले ‘मध्यम’ श्रेणी में था, रविवार को 224 पर पहुंच गया। 2023 में 6 अक्टूबर की शुरु आत में 212 का ‘खराब’ एक्यूआई देखा गया था। दरअसल, दिल्ली और इससे सटे शहरों में ठंड की दस्तक के समय से ही प्रदूषण होने लगता है। यह हर बार की कहानी है। लाख कोशिशों और सरकार की सख्ती के बावजूद न तो किसानों ने पराली जलाना रोका है और न लोगों ने आतिशबाजी।

और इस तरह की जिद अगर नहीं रुकी तो राजधानी के लोगों को साफ-सुथरी हवा मयस्सर नहीं होने वाली। सरकार को अब ज्यादा संजीदगी से काम करना होगा। साथ ही यह जनता की भी जिम्मेदारी है कि वो प्रदूषण की दुारियों को समझे और इसके प्रति लोगों को जागरूक करे। प्रदूषण का प्रहार किस कदर घातक है यह आंकड़ों को देखकर सहज रूप से समझा जा सकता है। लैंसेट प्लैनिटेरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार भारत में वायु प्रदूषण के कारण मृत्यु दर में वृद्धि हो रही है।

दिल्ली सहित देश के 10 शहरों में प्रतिवर्ष हवा में पीएम 2.5 की अधिकता के कारण लगभग 33, 000 लोगों की मौत हो रही है। इसमें सिर्फ दिल्ली में 12 हजार लोग की जान जा रही है, यह प्रतिवर्ष होने वाली कुल मौत का 11.5 प्रतिशत है।

देश के स्वच्छ वायु मानदंड विश्व स्वास्थ्य संगठन के 15 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के दिशा निर्देश से चार गुना अधिक है। यही कारण है कि वायु प्रदूषण के लिहाज से बेहतर माने जाने वाले शहरों में भी लोगों की जान जा रही है। हमें अभी से इस बारे में गंभीरता से विचार करना होगा। इस विव्यापी समस्या से निपटने की जिम्मेदारी सामूहिक है।



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