ढोल में पोल न हो
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधीकरण बुजुर्गों के लिए अधिक स्वास्थ्य पैकेज जोड़ने की आवश्यकता का आंकलन कर रही है। इससे तकरीबन साढे चार करोड़ परिवारों के छह करोड़ बुजुर्गों को लाभ मिलेगा।
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यह आवेदन आधारित योजना है। इसके लिए प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना पोर्टल या आयुष्मान एप पर पंजीकरण करना होगा।
70 या उससे अधिक उम्र वाला हर बुजुर्ग आयुष्मान कार्ड प्राप्त करने व तथा विस्तारित योजना शुरू होने पर सूची वाले किसी भी अस्पताल में पांच लाख तक का इलाज मुफ्त कराने के पात्र होंगे। पहली सितम्बर तक साढ़े बारह हजार से अधिक निजी अस्पतालों समेत 29,648 अस्पतालों को इस योजना के तहत सूचिबद्ध किया जा चुका है।
वर्तमान में दिल्ली, ओडिशा तथा पश्चिम बंगाल को छोड़कर 33 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में इसे लागू किया जा रहा है। जो लोग पहले से केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं, पूर्वसैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना और आयुष्मान केंद्रीय सशस्त्र बल का लाभ उठा रहे हैं, वे दोनों में विकल्प चुन सकते हैं। आम जनता के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमेशा से गंभीर रहे हैं।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा व आयुष्मान जैसी सुविधाओं की शुरुआत का उद्देश्य किफायती दर पर सबको इलाज मिलने की व्यवस्था उन्होंने ही दी है। हालांकि जितना इसका प्रचार किया गया, यह उतनी सफल नहीं हो पाई। खासकर देश के पिछड़े राज्यों व इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओंको उपलब्ध कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। हालांकि इस नई योजना के तहत अस्पतालों की संख्या काफी बढाई गई है।
वरना अब तक लोगों को अपने मरीज को लेकर बड़े कस्बों या नजदीकी शहर की तरफ भागना पड़ता रहा है। दवाओं और निजी अस्पतालों के मोटे-मोटे बिलों को चुकाने लायक सामथ्र्य अभी अपने यहां बड़े वर्ग की नहीं है। जिन्हें उम्र संबंधी दिक्कतों से लेकर गंभीर रोगों का इलाज कराने के लिए परिवार का मुंह ताकना पड़ता है।
इस योजना के चलते उम्मीद की जा सकती है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, जो अपने बुजुर्गों के इलाज में पैसों की कटौती करने को मजबूर है, अब उनका बेहतर इलाज करवा सकेगा। परंतु महत्त्वपूर्ण तथ्य याद रखना होगा कि इन अस्पतालों में दवाओं, चिकित्सकों व सहयोगी कर्मचारियों का अकाल न रहने पाए। वरना योजनाओं का लाभ बुजुर्गों को प्राप्त नहीं हो सकता।
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