आस्था का सम्मान
किसी भी जाति, मजहब-मत या संप्रदाय से जुड़े देवी-देवताओं, महापुरुषों या साधु-संतों के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अस्वीकार्य कहा है।
आस्था का सम्मान |
साथ ही, कहा है कि विरोध के नाम पर होने वाली अराजकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अधिकारियों के साथ त्योहारों के मद्देनजर कानून-व्यवस्था की समीक्षा बैठक करते हुए कहा कि हर मत-संप्रदाय की आस्था का सम्मान होना चाहिए। नागरिकों में महापुरुषों के प्रति कृतज्ञता का भाव होना चाहिए, लेकिन इसे जबरन थोपा नहीं जा सकता।
सभी मतों, मजहब, संप्रदाय के लोगों को एक-दूसरे का सम्मान करने और विरोध के नाम पर अराजकता, तोड़-फोड़ और आगजनी को स्वीकार न करने की भी बात की जो ऐसा दुस्साहस करेगा, उसे कीमत चुकानी पड़ेगी। जनपद और थानों को माहौल खराब करने वालों पर कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए।
सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में अपराधों और आपराधिक गतिविधियों पर लगाम कसना वास्तव में बहुत बड़ी चुनौती है। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के अनुसार राज्य में महिलाओं-बच्चों के प्रति अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। बलात्कार, बलात्कार के बाद हत्या, सामूहिक बलात्कार, अपहरण और हत्या के मामले में राज्य सबसे ऊपर है।
शायद इसीलिए इस बैठक के दौरान योगी ने अधिकारियों से उनकी सुरक्षा बढ़ाने की बात प्रमुखता से की। तमाम सरकारी दावों के बावजूद सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बार-बार सवाल उठाए जाते हैं। 2017 में जब योगी पहली दफा मुख्मंत्री बने थे, तब उन्होंने ऐलान किया था कि अपराधी उप्र छोड़ दें या अपराध छोड़ दें।
मगर लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बावजूद वह प्रदेश को अपराधमुक्त तो दूर की बात, अपराधों में कमी लाने में भी सफल होते नहीं नजर आ रहे। केंद्रीय गृह मंत्री संसद में उप्र में होने वाले अपराधों पर कई दफा टिप्पणी कर चुके हैं।
रही बात मजहब या संप्रदायों के विरुद्ध टिप्पणी करने की तो अमूमन यह राजनीतिक दलों के उकसावे में की जाती हैं। धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने के बावजूद ऐसा माहौल बना दिया गया है, जिसमें जनता को बरगलाने और जान-बूझकर शांति भंग करने के लिए अनर्गल टिप्पणियां की जाती हैं। पुलिस/प्रशासन को मुस्तैद कर मुख्यमंत्री ने सार्थक कदम उठाया है।
ऐसे अराजक तत्वों के प्रति किसी भी तरह की नरमी न बरतने भर से ही स्थिति में सुधार आता नजर आने लग सकता है।
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