कश्मीर में बदलाव की शुरुआत
जम्मू-कश्मीर के लिए नागरिकों के लिए बुधवार, 18 सितम्बर विशेष महत्त्व का रहा। 2019 में संविधान का अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद पहली बार हो रहे विधानसभा के चुनावों में लोगों ने भारी उत्साह के साथ मतदान किया।
कश्मीर में बदलाव की शुरुआत |
सात जिलों की 24 विधानसभा सीटों पर पहले चरण के चुनाव का वोटिंग पैटर्न और बिहेवियर राज्य की सियासत में महत्त्वपूर्ण बदलाव के संकेत दे रहे हैं। उम्मीद है कि दूसरे और तीसरे चरण के चुनाव में लोग और ज्यादा बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेंगे। एक दशक बाद हो रहे विधानसभा के पहले चरण के चुनाव में 61.08 फीसद मतदान हुआ।
यह प्रतिशत 2009, 2014 और 2024 के लोक सभा और 2008 एवं 2014 के विधानसभा चुनावों की तुलना में बहुत ज्यादा है जो बताता है कि मतदाताओं ने चुनाव के बहिष्कार, अलगाववाद और आतंकवाद को सिरे से खारिज किया है।
राज्य प्रशासन और सुरक्षा बलों की विशेष सतर्कता के कारण पड़ोसी देश भी चुनाव में किसी तरह की अशांति फैलाने में नाकाम रहा। अब वहां के एक मंत्री यह बयान देकर चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं कि उनका देश कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के विचारों से सहमत है कि अनुच्छेद 370 बहाल किया जाना चाहिए। उनके बयान से सियासत गरमा गई है।
कटरा की एक सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जोरदार ढंग से कहा कि मैं यहां पाकिस्तान का एजेंडा लागू नहीं होने दूंगा। दुनिया की कोई ताकत अनुच्छेद 370 की वापसी नहीं करा सकती। जाहिर है कि पाकिस्तान के मंत्री का बयान चुनाव सभाओं में उठाया ही जाएगा। हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला को अपने बचाव में बयान देना पड़ा है कि मुझे नहीं मामूम कि पाकिस्तान क्या कह रहा है क्योंकि मैं पाकिस्तानी नहीं, भारतीय नागरिक हूं।
यह सच है कि इस चुनाव में अनुच्छेद 370 की बहाली और राज्य का दर्जा प्रमुख मुद्दों के रूप में छाया रहेगा। जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने पर केंद्र सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए। बृहस्पतिवार को एक सभा में प्रधानमंत्री मोदी ने जनता को आासन भी दिया कि जम्मू-कश्मीर जल्द पूर्ण राज्य बनेगा।
वस्तुत: इस पर्वतीय राज्य के नागरिक करीब चार दशकों से आतंकवाद और अलगाववाद के दंश की पीड़ा झेल रहे हैं। उन्हें महसूस हो रहा है कि चुनावों के बहिष्कार से कुछ नहीं मिला। वे ऐसी सरकार चाहते हैं जो राजनीति की गतिशीलता को बदले और उनकी अधिकारों की रक्षा करे। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बदलावकारी राजनीति में अनुच्छेद 370 की समाप्ति महती भूमिका निभाएगी।
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