वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 जेपीसी को भेजने का सुविचारित फैसला
केंद्र की एनडीए सरकार ने विपक्ष के भारी विरोध के बीच बृहस्पतिवार को लोक सभा में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक, 2024 पेश करने के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने का निर्णय लिया।
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सरकार का यह सुविचारित फैसला है जिसका सभी को स्वागत करना चाहिए। हालांकि देश का एक राजनीतिक वर्ग इसे सरकार की पराजय बता रहा है।
उसका मानना है कि जेपीसी में भेजने का मतलब सरकार इस विधेयक को संसद से पास कराने में सफल नहीं हो पाएगी, लेकिन शुक्रवार को संसदीय कार्यमंत्री और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विधेयक पर दोनों सदनों की जेपीसी के लिए 21 लोक सभा सांसदों के नाम प्रस्तावित किए।
इसमें राज्य सभा से 10 सदस्य शामिल होंगे। इस विधेयक को जेपीसी में विचार-विमर्श के लिए भेजने का यही आशय है कि लोगों को याद होगा कि मोदी सरकार के पिछले दोनों कार्यकाल में अनेक विधेयक पास हुए थे। लेकिन विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाए थे कि इनमें से किसी पर भी सदन में चर्चा नहीं हुई थी।
किसानों से जुड़े कृषि संबंधी तीन कानूनों का क्या हश्र हुआ इसे यहां दोहराने की जरूरत नहीं है। वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 के मामले में सरकार का नजरिया बहुत स्पष्ट है। आरोप भी लगाया जाता है कि बहुत सी जमीनों पर भू माफिया का कब्जा है।
सरकार का मानना है कि खरबों रुपए की संपत्ति पर मालिकाना हक होने के बाद भी वक्फ बोर्ड गरीब मुसलमानों की मदद नहीं कर रहा है। अगर सरकार नेक इरादे से बोर्ड को नियमित करना चाहती है तो इसमें गलत क्या है।
एनडीए के सहयोगी दलों जद (यू) और तेलुगू देशम के साथ शिवसेना ने भी सरकार का समर्थन किया है। विपक्ष का आरोप सरासर गलत है कि इस विधेयक से धार्मिक स्वतंत्रता और संघीय ढांचे पर कुठाराघात हो रहा है।
सिर्फ विरोध के लिए विरोध की नीति से न लोकतंत्र चलता है और न देश आगे बढ़ता है। उम्मीद की जानी चाहिए शीतकालीन सत्र में जब जेपीसी की रिपोर्ट आएगी तो सभी को सर्वमान्य हल दिखाई देगा।
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