एग्जिट पोल की परीक्षा

Last Updated 03 Jun 2024 01:04:39 PM IST

सातवें चरण के मतदान के बाद शनिवार को जारी तमाम टीवी चैनलों के एग्जिट पोल में केंद्र में तीसरी बार राष्ट्रीय गणतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनने जा रही है।


एग्जिट पोल की परीक्षा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरी बार सत्ता संभालने की दिशा में दिखाई दे रहे हैं। अलबत्ता, भाजपा को हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक और बिहार में नुकसान होता दिख रहा है, लेकिन दक्षिण में उम्मीद की किरण भी दिखलाई पड़ रही है। केरल और तमिलनाडु में उसका खाता खुलता दिखाई दे रहा है।

सबसे बड़ी बात यह कि देश में सर्वाधिक सीटों वाले उत्तर प्रदेश में राजग अपनी पुरानी टैली को बनाए रखने में सफल होता दिख रहा है, जहां विपक्ष ने पूरी दमदारी से उसे शिकस्त देने का मंसूबा बांधा हुआ है। एग्जिट पोल ने फिर से मोदी सरकार को सत्ता पर काबिज होने की बात कहते हुए मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, दिल्ली और छत्तीसगढ़ में भाजपा द्वारा क्लीन स्वीप करने की संभावना जताते हुए हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक और बिहार में थोड़ा नुकसान होने की बात कही है।

आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना में राजग को बढ़त दिखाई है। बहरहाल, एग्जिट नतीजों को लेकर दावों-प्रतिदावों का दौर शुरू हो गया है, जो चार जून तक जारी रहना है, जब नतीजे आएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि अवसरवादी इंडी गठबंधन मतदाताओं के दिलों को छूने में विफल रहा है। मतदाताओं ने विपक्ष की ‘प्रतिगामी राजनीति’ को खारिज कर दिया है।

कांग्रेस ने कहा है कि एग्जिट पोल उस व्यक्ति ने ‘मैनेज’ करवाए हैं, जिनका चार जून को ‘एग्जिट’ (विदा) होना तय है। एग्जिट पोल दरअसल, मतदाता का रुझान दर्शाते हैं, और जरूरी नहीं कि फाइनल नतीजे के रोज वैसे ही रहें जैसे बताए गए हों।

ये विशुद्ध कयासबाजी होती होते हैं, हालांकि इस बात से इनकार नहीं कि एग्जिट पोल तैयार करना एक पूरा विज्ञान ही है। छोटी से छोटी डिटेल तक का संज्ञान लेने का प्रयास होता है, लेकिन कई दफा हुआ है जब फाइनल नतीजे एग्जिट पोल के बिल्कुल उलट आए। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि एग्जिट पोल के उलट फाइनल नतीजे आए तो एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियों की विसनीयता पर बड़ा सवाल लग जाएगा।

बहुत से लोगों के गले एग्जिट पोल इसलिए नहीं उतर रहे कि महंगाई, बेरोजगारी, किसान असंतोष जैसी मामलों को हैंडल करने में सरकार की परिणामोन्मुख नहीं दिखी। सत्ता-जनित आक्रोश को भी अनदेखा नहीं कर सकते। बहरहाल, चार जून का शिद्दत से इंतजार है।



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