चुनाव और विदेशी हस्तक्षेप

Last Updated 29 May 2024 01:40:12 PM IST

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के आम चुनाव पर पड़ोसी देश पाकिस्तान सहित पश्चिमी देशों और वहां की मीडिया की नजर लगी है।


चुनाव और विदेशी हस्तक्षेप

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस चुनाव में पाकिस्तान के कुछ नेताओं की टिप्पणी को लेकर सवाल पूछा गया तो उनका जवाब आया देश में कुछ ही लोग हैं जिनके समर्थन में वहां से आवाज उठती है। मैं नहीं जानता कि ऐसा क्यों है। यह जांच-पड़ताल का गंभीर विषय है। यह गौर करने वाली बात है कि भारत में चुनाव अभियान शुरू होने के साथ ही विदेशी हस्तक्षेप किसी न किसी रूप में मुद्दा बना हुआ है।

अभी पिछले दिनों ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ‘इंटरनेशनल खान मार्केट गैंग’ का जिक्र किया। उनका विास है कि यह गैंग भारत में सक्रिय ऐसे ही तत्वों के साथ मिलकर सरकार की नीतियों को प्रभावित करता है। विदेश मंत्री के अनुसार ‘इंटरनेशनल खान मार्केट गैंग’ में पश्चिमी देशों की मीडिया, बुद्धिजीवी वर्ग, थिंक टैंक और मध्यम दज्रे के सरकारी अधिकारी शामिल हैं।

जयशंकर ने इन देशों को एक तरह से चेतावनी भी दी है कि वे भारत की राजनीति में हस्तक्षेप करने के बजाय अपने देश को संभालें। पड़ोसी देश पाकिस्तान हो या फिर अमेरिका और पश्चिमी देश सभी की नजरों में भारत और प्रधानमंत्री मोदी किरकिरी बने हुए हैं।

वे भारत के एक मजबूत और विकसित देश के रूप में उभरते देखना नहीं चाहते। ये देश भारत की राजनीति को अस्थिर और कमजोर बनाने के लिए समय-समय पर इस तरह के दांव चला करते हैं और इनके लिए चुनाव से बेहतर कोई दूसरा मौसम नहीं हो सकता।

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जब अपना पोस्ट साझा कि मैंने महंगाई, बेरोजगारी और तानाशाही के खिलाफ विरोध किया है तो पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद चौधरी ने प्रतिक्रिया दी कि शांति और सद्भाव से नफरती और कट्टर ताकतों को हराया जा सकता है।

केजरीवाल को पाकिस्तानी मंत्री की राजनीतिक चाल समझने में देर नहीं लगी और उन्होंने जवाब दिया कि आपको आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने के बजाय अपने देश की खराब स्थिति को संभालने में ध्यान देना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने केजरीवाल और चौधरी के संवाद को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की है।

जाहिर है चुनाव में नेता एक दूसरे पर अपने तरकश का हर बाण चलाते हैं। लेकिन चुनाव बाद एक दूसरे को गले भी लगा लेते हैं। लोकतंत्र की यही खूबी है कि भारत के नेता और मतदाता दोनों परिपक्व हैं।
 



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