एकरूपता है जरूरी
अगले पांच वर्ष के भीतर पूरे देश में समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी के लागू होने की बात गृहमंत्री अमित शाह ने दोहराई है। इसे सामाजिक, कानूनी और धार्मिक सुधार बताते हुए उन्होंने सभी पक्षों के साथ विचार-विमर्श की बात की।
एकरूपता है जरूरी |
परंथनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर कानून न होने की आलोचना करते हुए शाह ने कहा उत्तराखंड में भाजपा के प्रयोग पर सामाजिक व कानूनी जांच होनी चाहिए। साथ ही धार्मिक नेताओं से भी सलाह लेनी चाहिए। शाह ने कहा नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अगली सरकार ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ भी लागू करेगी। समय के साथ चुनाव धीरे-धीरे गर्मी के दौरान होने लगे हैं। उन्होंने इन्हें निर्धारित समय से पूर्व कराने की भी बात की। ये दोनों बातें भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा लगातार दोहराई जाती रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी भी अपने भाषण में कई बार इनकी चर्चा कर चुके हैं। भारत के संविधान में राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के अनुच्छेद 44 के तहत समान नागरिक संहिता को परिभाषित किया गया है तथा कहा है कि इसे देश में लागू करने का कर्तव्य राज्य का है। इसके लागू होने से शादी, संबंध विच्छेद, संपत्ति, उत्तराधिकार जैसे कानूनों में एकरूपता आएगी। अमेरिका, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र, मलेशिया, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे कई देशों में यूसीसी लागू है और सफल भी है।
अपने देश में इसका विरोध करने वालों का आरोप है कि भाजपा इस बहाने हिंदू नियम जबरन लागू करने का प्रयास कर रही है। उन्हें डर है कि इससे सांस्कृतिक संवेदनशीलता व व्यक्तिगत पहचान के लिए खतरा हो सकता है। ‘एक देश एक चुनाव’ के लिए सरकार को सबसे पहले संविधान के पांच अनुच्छेदों में संशोधन करना होगा। साथ ही देश की सारी विधानसभाओं को एकसाथ भंग करना होगा। बहरहाल इसका अधिकार अभी केंद्र सरकार पास नहीं है।
यह संघीय ढांचे के खिलाफ है, संसद के पास उसे छेड़ने का भी अधिकार नहीं है। अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है कि संशोधन के बावजूद राज्य सरकारों का केंद्र से टकाराव की स्थितियां रोकी नहीं जा सकतीं। कुल मिलाकर यह काफी जटिल प्रक्रिया है, परंतु मोदी व शाह इन दोनों तब्दीलियों को लेकर लंबे समय से सिर्फ बात ही नहीं कर रहे हैं, उनके पास इनको लागू करने का ब्लूप्रिंट अवश्य हो सकता है, जिसका खुलासा आने वाले वर्षो में होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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