बच्चों की जान बख्शें

Last Updated 27 May 2024 01:44:00 PM IST

राजकोट के टीआरपी मॉल के गेमिंग जोन में भीषण आग लगने से 33 लोगों की मौत हो गई। इनमें बच्चे भी हैं। सप्ताहांत के कारण मॉल में बहुत भीड़ थी।


बच्चों की जान बख्शें

बता रहे हैं कि गेमिंग जोन में वेल्डिंग का काम भी चल रहा था। इसमें बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। लोग भीतर ही फंसे रह गए। धुआं इतना था कि पांच किलोमीटर दूर से नजर आ रहा था। आग के दरम्यान वहां का अस्थायी ढांचा भी ढह गया।

चश्मदीदों का कहना है कि अग्नि शमन की गाड़ियां बहुत देर से पहुंचीं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ढांचे में बहुत सारे टायर होने के कारण धुआं अधिक फैला। सवाल है कि यहां गेमिंग की मंजूरी कैसे और किसने दी? अग्नि शमन विभाग द्वारा एनओसी ली गई या नहीं, आपातकालीन निकास की व्यवस्था क्यों नहीं थी? राज्य में इसी साल जनवरी में वडोदरा की झील में नाव डूबने के कारण बारह बच्चों की मौत हो गई थी।

उससे पहले मोरबी सस्पेंशन ब्रिज ढहने से 135 लोग मारे गए थे, जिनमें एक तिहाई बच्चे थे। 2019 में सूरत के कोचिंग सेंटर में लगी आग में बाइस छात्रों की मौत हो गई थी। सिलसिलेवार होने वाली इन भीषण घटनाओं को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि राज्य में शासन और व्यस्थागत गड़बड़ियां चरम पर हैं। बार-बार दुर्घटनाओं के बाद जांच और कुछ दोषियों के खिलाफ कदम उठाकर मात्र लीपापोती कर दी   जाती है। एक साथ इतने लोगों की मौत, उस पर भी बच्चों का मरना भयावह है।

इस वक्त देश में भीषण गरमी पड़ रही है जिसके चलते आग लगने की घटनाएं आम हो गई हैं। दिल्ली के केअर सेंटर में भी शनिवार की रात ही आग में जल कर सात नवजात मर गए। बता रहे हैं, ऑक्सीजन सिलेंडर फटने से वहां आग फैल गई। कुछ नवजात अभी लापता हैं, जिनके पालक इधर-उधर भटक रहे हैं। व्यावसायिक स्थलों पर सुरक्षा को लेकर इतनी लापरवाही कैसे बरती जाती है। इसके लिए जो लोग दोषी हैं, उनको सख्त सजाएं क्यों नहीं दी जातीं।

से सभी दोषियों को लंबे समय के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में उपचार में या सहायक के तौर पर मदद के लिए लगाया जाए। जरूरी है कि गर्मी आने से पूर्व ही अस्पताल जैसे इदारों में अग्नि शमन प्रणाली को रूटीन बनाकर उन पर नजर रखने की कवायद लगातार जारी रखी जाए।

बच्चों और अन्य हादसे के शिकार लोगों के परिवारों को केवल सरकारी मुआवजा देकर ही हाथ न झाड़े जाएं बल्कि उनके परिवार के प्रति भी जिम्मेदार लोगों को नैतिक और भावनात्मक सहयोग देने के सख्त आदेश दिए जा सकते हैं।



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