भारत में गरीबी अब अपने न्यूनतम स्तर पर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत में गरीबी अब अपने न्यूनतम स्तर पर है क्योंकि घरों में खपत एक दशक पहले की तुलना में ढाई गुना बढ़ गई है।
भारत में गरीबी अब अपने न्यूनतम स्तर पर |
एक टीवी चैनल पर सोमवार को ‘भारत : अगली बड़ी छलांग के लिए तैयार’ विषयक वैश्विक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने आंकड़ों के हवाले से कहा कि विभिन्न सेवाओं और सुविधाओं पर खर्च करने की लोगों की क्षमता बढ़ी है। अब सबके पास भोजन के अलावा अन्य चीजों का उपभोग करने के लिए अधिक पैसा है। पहली बार है कि देश में भोजन पर खर्च किए जाने वाले धन का प्रतिशत घरेलू खर्च के 50 प्रतिशत से भी कम है।
उन्होंने कहा, ‘यह गांवों, गरीबों और किसानों पर हमारे ध्यान केंद्रित करने के कारण हुआ है।’ बेशक, मोदी सरकार ने ढांचागत और बुनियादी परियोजनाओं के पैमाने और गति में बदलाव किया है। इससे रोजगार के नये अवसरों का सृजन हुआ, लोगों के हाथ में पैसा पहुंचा। विकसित भारत के लिए संकल्पबद्ध होना आस्तिकारक साबित हो रहा है। खपत बढ़ने से अर्थव्यवस्था गतिमान हुई है। फलस्वरूप आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही हैं, जिससे मांग की समस्या का सामना नहीं है।
कोरोना महामारी के दौरान लोगों ने खर्च करने से हाथ नहीं खींचा था जिससे मांग बनी रही और आर्थिक गतिविधियां शिथिल नहीं पड़ने पाई। देखा गया है कि ग्रामीण भारत में खपत और उपभोग का सिलसिला सहज बना रहे तो अर्थव्यवस्था के लिए संबल का कार्य करता है।
अर्थव्यवस्था के मजबूत होने की धारणा से विदेशी निवेश भी बढ़ता है, और इस समय विदेशी निवेशक भारत की तरफ रुख किए हुए हैं। करदाताओं की बढ़ती संख्या और जीएसटी संग्रह में इजाफे के साथ ही डिटिजल क्रांति से अवाम में सरकार के प्रति विास बढ़ा है। इसलिए भी कि उन्हें लग रहा है कि तुष्टिकरण की बजाय सरकार सभी नागरिकों की संतुष्टि पर ध्यान केंद्रित कर रही है। बेशक, गरीबी व्यक्ति निरपेक्ष होती है।
कोई गरीब महसूस कर रहा हो तो जरूरी नहीं कि दूसरा भी उसी मन:स्थिति से गुजर रहा हो। लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि धारणा महत्त्वपूर्ण कारक होती है, जो सरकार में लोगों के विास का आधार का काम करती है, सरकार की मजबूती का सबब बनती है जिससे आर्थिक कारक असरंदोज होते हैं। बहरहाल, सरकार ने धारणा मजबूत करने के मामले में खुद को कमजोर नहीं पड़ने दिया है, और यही उसके लिए सकारत्मक बात है।
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