नगालैंड में पांच प्रमुख जनजातियों की शीर्ष संस्था ने भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़बंदी का किया विरोध

Last Updated 09 Jan 2025 12:16:54 PM IST

नगालैंड में पांच प्रमुख जनजातियों की शीर्ष संस्था ‘तेनयिमी यूनियन नागालैंड’ (TUN) ने भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़बंदी के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध किया है और कहा कि इससे नगा लोगों, उनकी आजीविका और उनके सांस्कृतिक संबंधों पर ‘‘विनाशकारी’’ प्रभाव पड़ेगा।


टीयूएन पांच जनजातियों - अंगामी, चाखेसांग, पोचुरी, रेंग्मा और जेलिआंग की शीर्ष संस्था है।

इसने दावा किया कि भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़बंदी से आर्थिक व्यवस्था बाधित होगी, समुदाय अलग-थलग पड़ जाएंगे, महत्वपूर्ण संपर्क टूट जाएंगे और शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सीमित हो जाएगी।

टीयूएन के अध्यक्ष केखवेंगुलो ली ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा, ‘‘बाड़बंदी केवल एक जमीनी अवरोध भर नहीं है बल्कि यह हमारी पहचान, विरासत और गरिमा पर हमला है।’’

बयान में केंद्र सरकार से भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़बंदी के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया गया साथ ही पैतृक भूमि की सुरक्षा और नगा लोगों के अधिकारों तथा सम्मान को बनाए रखने के महत्व पर बल दिया।

ली ने कहा, ‘‘वर्ष 1950 के दशक में शुरू की गई ‘फ्री मूवमेंट रेजीम’ (एफएमआर) ने सीमा पार यात्रा की सीमित अनुमति दी थी, लेकिन उसके बाद से लगातार नियमों ने इस दायरे को कम दिया। इससे सीमा पार सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को बनाए रखने की नगा समुदायों की क्षमता पर गंभीर असर पड़ा है।’’

टीयूएन ने सभी नगा लोगों, समुदायों और संगठनों से सीमा पर बाड़बंदी के विरोध में एकजुट होने का आह्वान किया है।
 

भाषा
कोहिमा


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