हल्द्वानी हिंसा : दुर्भाग्यपूर्ण घटना
उत्तराखंड के हलद्वानी में अतिक्रमण ढहाने गई पुलिस पर हुआ हमला दुर्भाग्यपूर्ण है।
हल्द्वानी हिंसा : दुर्भाग्यपूर्ण घटना |
नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुरुवार को वनभूलपुर क्षेत्र में मलिक के बगीचे में अवैध मदरसा और धर्मस्थल को तोड़ने गई पुलिस और प्रशासन की टीम पर स्थानीय लोगों ने पथराव किया। जिसके बाद हिंसा भड़क उठी। उपद्रवियों ने वनभूलपुर थाने में आग लगा दी। पुलिस की जीप, जेसीबी, दमकल की गाड़ी समेत 60 से अधिक वाहन फूंक दिए।
इसके बाद शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया और उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए गए। इस हिंसा में अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है और 100 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। प्रशासन का कहना है कि निर्माण अवैध था और इसे गिराने का अदेश न्यायालय से मिला था।
न्यायालय के आदेश के अनुपालन में ही प्रशासनिक दस्ता इसे तोड़ने गया था जिस पर भीड़ पर जानलेवा हमला किया। इस बारे में प्रशासन का यह कहना है कि यह हमला पूरी तरह नियोजित था। अगर प्रशासन की यह बात पूरी तरह सही है तो यह बहुत गंभीर घटना है जिसकी किसी तरह भी अनदेखी नहीं की जा सकती।
प्रदेश के डीजीपी का कहना है कि इस सुनियोजित हिंसा में शामिल लोगों को चिह्नित कर उन पर रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी। नियोजित हमले का विचार इस बात की पुष्टि करता है कि एक वर्ग अपने अवैध कार्यों की पूर्ति के लिए न तो प्रशासनिक नियम-कायदों का पालन करता है और न ही अदालत के आदेश को मानना चाहता है।
यह चिंताजनक स्थिति है और इससे भी चिंताजनक स्थिति यह है कि अदालत के आदेश की अवहेलना या उसके विरोध को भीड़ के बल पर निरस्त करने का प्रयास निहित है, जिसमें निश्चित तौर पर वर्ग विशेष के नेता शामिल होंग जिन्होंने इस तरह के हमले का नियोजन किया।
अगर यह प्रवृत्ति घर कर लेती है तो फिर देश के अन्य स्थानों पर भी इसी तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति देखने के लिए तैयार रहना चाहिए अन्यथा कड़े कदम उठाए जाने चाहिए जिससे कि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो।
बेहतर हो कि प्रशासन इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सुनियोजित रणनीति बनाए और उस पर पूरी दृढ़ता से अमल करे ताकि देश का वातावरण विषैला न बने।
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