रोहन बोपन्ना का कमाल
भारतीय टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना सबसे उम्रदराज ग्रैंड स्लैम चैंपियन बन गए हैं। ऑस्ट्रेलियाई जोड़ीदार मैथ्यू एब्डेन के साथ ऑस्ट्रेलियाई ओपन का पुरुष डबल्स खिताब जीतकर उन्होंने यह गौरव हासिल किया है।
ऑस्ट्रेलियाई जोड़ीदार मैथ्यू एब्डेन के साथ भारतीय टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना |
सही मायनों में बोपन्ना के कॅरियर में पिछला सप्ताह यादगार साबित हुआ जिसे वह कभी भी भूलना नहीं चाहेंगे। बोपन्ना ने सेमीफाइनल में विजय पाते ही विश्व का नंबर एक खिलाड़ी बनने की उपलब्धि हासिल की। वह सबसे ज्यादा उम्र में पहली बार विश्व के नंबर एक खिलाड़ी बने। बोपन्ना ने 2003 में कॅरियर की शुरुआत की और 2008 में युगल में खेलना शुरू किया लेकिन उन्हें ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने के लिए 2017 तक का इंतजार करना पड़ा।
हालांकि 2010 में उन्होंने पाकिस्तानी खिलाड़ी एहतेशाम उल हक कुरैशी के साथ जोड़ी बनाई और पहले ही साल यूएस ओपन में पुरुष युगल के फाइनल तक चुनौती पेश करने में सफल भी रहे पर यह जोड़ी धमाल मचाने से पहले ही भारत-पाक संबंधों में खटास आने की वजह से टूट गई। बोपन्ना ने 2021 में लगातार असफलताओं की वजह से टेनिस से संन्यास लेने का विचार बना लिया था लेकिन परिजनों के समझाने पर खेल जारी रखने पर सहमत हो गए।
दरअसल, दोनों घुटनों की तकलीफ के चलते वे नाकाम हो रहे थे। रोहन के पिता एमजी बोपन्ना बताते हैं कि रोहन पिछले दो सालों से आयंगर योग कर रहे हैं, इससे उनकी ऊर्जा में तो बढ़ावा आया ही, वह अच्छी फिटनेस बनाने में भी सफल रहे। इसने उनकी मौजूदा सफलता में अहम भूमिका निभाई है। रोहन से पहले भारत के लिए लिएंडर पेस, महेश भूपति और सानिया मिर्जा ने युगल में ढेरों सफलताएं हासिल की हैं पर देश विजय अमृतराज और रमेश कृष्णन के बाद कोई ढंग का सिंगल्स खिलाड़ी नहीं निकल सका है।
ऐसे में इस साल सुमित नागल के डेविस कप में खेलने से इंकार करने पर अखिल भारतीय टेनिस एसोसिशन ने सुमित का नाम ऑस्ट्रेलियन ओपन में वाइल्ड कार्ड के लिए भेजने से मना करना सही नीति नहीं लगती। देश में ज्यादातर टेनिस खिलाड़ी व्यक्तिगत प्रयासों के कारण ही आगे निकले हैं। अखिल भारतीय टेनिस एसोसिएशन को इस तरफ गंभीर प्रयास करने की जरूरत है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जरूरत उन्हें अच्छी तरह से मांजने की है।
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