75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम राष्ट्रपति मुर्मू का उद्बोधन

Last Updated 27 Jan 2024 01:45:08 PM IST

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Muru) ने 75वें गणतंत्र दिवस (75th Republic Day) की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कुछ महत्त्वपूर्ण बातों का उल्लेख किया।


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

उन्होंने महिला आरक्षण को पारित किए जाने को अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बताते हुए इसे नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम काम बताया। राष्ट्रपति मुर्मू के शब्दों में ‘जब संसद ने ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक पारित किया तो हमारा देश, स्त्री-पुरुष समानता के आदर्श की ओर आगे बढ़ा।’ ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम, महिला सशक्तिकरण का एक क्रांतिकारी माध्यम सिद्ध होगा। इससे हमारे शासन की परिक्रियाओं को बेहतर बनाने में भी बहुत सहायता मिलेगी।’

जाहिर है कि इस विधेयक के पारित होने से शासन और प्रशासन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। राष्ट्रपति मुर्मू ने अर्थव्यवस्था की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। उनका मानना है कि अमृतकाल देश की प्रगति के लिए एक महत्त्वपूर्ण कालखंड है जो समूचे राष्ट्र को एक विशेष संकल्प से बांधे रखे हुए है। और यह संकल्प ही देश को सिद्धि की ओर ले जाएगा। राष्ट्रपति मुर्मू ने विश्व भर में चल रहे विभिन्न संघर्ष और मानवीय त्रासदियों पर भी अपनी चिंता प्रकट की।

लेकिन उन्होंने गौतम बुद्ध, वर्धमान महावीर और सम्राट अशोक से लेकर महात्मा गांधी के अहिंसा के रास्तों को अपनाने का सुझाव देते हुए विश्वास प्रकट किया कि इन महापुरुषों के बताए गए शांति के रास्तों से चलकर विश्व शांति स्थापित हो जाएगी। उनके संबोधन की सबसे महत्त्वपूर्ण बात अयोध्या में प्रभु श्री राम के जन्म स्थान पर भव्य मंदिर में स्थापित राम लला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा है। उनकी दृष्टि में भारत के सांस्कृतिक इतिहास की यह अभूतपूर्व घटना है।

भविष्य में जब इस घटना को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाएगा, तब इतिहासकार राम लला के भव्य मंदिर निर्माण और प्राण-प्रतिष्ठा को भारतीय संस्कृति के पुनर्अन्वेषण के उल्लेखनीय पड़ाव के रूप में देखेंगे। मुर्मू ने भारतीय न्याय व्यवस्था पर गर्व करने के साथ ही न्यायिक प्रक्रिया के प्रति नागरिकों की आस्था और विश्वास को भी अपने संबोधन में रेखांकित किया।

उनके शब्दों में ‘अयोध्या में राम जन्मभूमि पर निर्मित मन्दिर न केवल जन-जन की आस्था को व्यक्त करता है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में देशवासियों की अगाध आस्था का प्रमाण है।’ उन्होंने अपने संबोधन में उन सभी महत्त्वपूर्ण बातों का उल्लेख किया जिन पर चलकर विकसित भारत की संकल्प यात्रा पूरी होगी।



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