बेबुनियाद नहीं है विवाद

Last Updated 27 Jan 2024 01:41:03 PM IST

दिल्ली इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) ने बीते साल अक्टूबर में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।


बेबुनियाद नहीं है विवाद

इसमें भारतीय विमानपत्तन प्राधीकरण (एएआई) के उप्र के गाजियाबाद के हिंडन एयरफोर्स स्टेशन पर वाणिज्य उड़ान के संचालन की अनुमति दी गई थी। इस पर अदालत ने केंद्र सरकार व एएआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

डायल ने कहा है कि केंद्र की नीतियों के अनुसार मौजूदा हवाई अड्डे के 150 किमी की हवाई दूरी के भीतर किसी भी ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस दशा में केंद्र का निर्णय मनमाना, अनुचित व अस्थिर है। क्योंकि यह 2016 के मानदंडो को पूरा नहीं करता है।

उसने यह भी दलील दी है कि उप्र के जेवर में नया हवाईअड्डा पहले ही बनाया जा रहा है। इन दो हवाई अड्डों की फुल कैपेसिटी पर पहुंचने से पहले ही कामर्शियल ऑपरेशन शुरू करने की अनुमति दी जा रही है। इससे सभी तीनों हवाई अड्डों (दिल्ली, जेवर, हिंडन) की उपयोगिता कम हो जाएगी।

कहा जा सकता है कि वाडिज्य उड़ानों को लेकर यह विवाद होना सीधा आर्थिक फायदों के दायरे में आता है। क्योंकि हिंडन एयर बेस से दो एयर लाइंस क्षेत्रीय उड़ाने पहले ही संचालित कर रही थीं। जो बीच में कुछ समय के लिए बाधित रहने के बाद पुन: चालू की जा चुकी हैं।

कम लागत वाली क्षेत्रीय वाहक लुधियाना व देहरादून के लिए संचालित की गई हैं और यहीं से जल्द अयोध्या के  साथ ही दस अन्य शहरों के लिए भी उड़ानें शुरू करने की योजना है। ऐसे में सरकार को चुनौती देना संदेह उपजाता है। दिल्ली एयर पोर्ट पर विमानों की आवाजाही का बढ़ता दबाव व व्यवस्था को सुचारू ढंग से चलाते रहने के लिहाज से यह निर्णय लिया गया होगा।

बीते कुछ वर्षो में मोदी सरकार देश के मझोले दज्रे के शहरों से उड़ाने शुरू करने की योजनाओं पर गंभीरता से काम कर रही है। देश में 24 अंतरराष्ट्रीय व 103 डोमेस्टिक एयरपोर्ट हैं। इनमें 10 कस्टम एयरपोर्ट भी शामिल हैं। इन सबका संचालन एएआई ही करती है।

ऐसे में इस निर्णय को मनमाना व अनुचित करार देना कतई उचित नहीं है। विवाद को सहूलियत से निपटाया जाना चाहिए। सेना के एयर फोर्स स्टेशनों की संवेदनशीलता व सुरक्षा की फिक्र से कोई भी अनजान नहीं है। 



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