एक देश, एक चुनाव’ के विचार-प्रस्ताव पर समर्थन और सवाल

Last Updated 24 Jan 2024 01:51:32 PM IST

नरेन्द्र मोदी सरकार समर्थित ‘एक देश, एक चुनाव’ के विचार-प्रस्ताव का समर्थन बढ़ रहा है। इसे एक हद तक निरपवाद तरीके से लागू करने के लिए गठित पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविद समिति को देश के 81 फीसद लोगों का समर्थन मिला है।


एक देश, एक चुनाव’ के विचार-प्रस्ताव पर समर्थन और सवाल

हालांकि सुझाव अब आ ही रहे हैं और उसकी अंतिम गिनती बाकी है। समर्थन विचार बढ़ सकता है। इसलिए कि इसके बारे में तीन तर्क अधिक अपीलिंग हैं। बार-बार के करोड़ों के खर्चे बचेंगे जो कुल 40 हजार करोड़ रुपये के लगभग है, चुनाव के दौरान लंबे समय तक ठप रह जाने वाली प्रशासनिक मशीनरी स्फूर्ति महसूस करेगी और इनका अंतत: फायदा देश के एकमुश्त विकास को मिलेगा। ये तर्क अपनी जगह ठीक हैं। पर इसके दूसरे पहलू उतने ही गौरतलब हैं।

प्रस्ताव से जुड़े इन सवालों का उत्तर मिलना बाकी है, यह जिस अवधि से लागू किया जाएगा तो इसके निर्णय के दायरे में आने वाले विधानसभाओं के कार्यकालों का समंजन निरपवाद तरीके से कैसे किया जाएगा? यह कि, आप राष्ट्रीय और राज्य चुनावों को कैसे संरेखित करते हैं? अगर एक चुनाव हो भी जाए तो आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि हर सरकार अपना कार्यकाल पूरा करे ताकि एक साथ चुनाव कराने का सिलसिला जारी रहे? क्या इसे हासिल करने की लागत लोकतंत्र को कम प्रतिनिधिमूलक नहीं बना देगी?

क्या इससे केंद्र-राज्यों का नाजुक संतुलन बिगड़ नहीं जाएगा? क्या यह व्यवस्था अधिक राष्ट्रपतीय प्रणाली नहीं बन जाएगी, जो करिश्माई नेताओं के नेतृत्व वाली पार्टयिों का पक्ष लेगी? क्या यह अपने छोटे क्षेत्रीय समकक्षों के विपरीत बड़ी राष्ट्रीय पार्टयिों का पक्ष लेगी, जिसका उनमें अभी से खौफ है और वे इसी आधार पर इसका विरोध कर रही हैं?

लोकतांत्रिक स्थिरता पर विशेषाधिकार की चाह वाली यह व्यवस्था क्या हमारी विशाल और विविधताओं वाले देश की कई अलग-अलग प्रतिनिधित्व वाली आवाजों को दबा नहीं देगी? ये सवाल इसलिए अहम हो गए हैं कि 1967 तक चली एक नेशन एक इलेक्कशन वाली व्यवस्था के अंत के बाद से पहचान की राजनीति बहुसंस्तरीय हुई है।

फिर विपक्ष को मोदी की प्रणाली केंद्रिकता की तरफ उन्मुख लगती है। इन संदेहों के निवारणार्थ ही कोविद समिति बनाई गई है। यह सरकार के प्रस्ताव के क्रियान्वयन के संकल्प को भी जाहिर करता है। बदलाव अपने शात रूप में एक आया हुआ विचार होता है। चाहे कितनी भी चुनौती हो, उसे रोकना मुश्किल होता है।



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