अयोध्या में राम मन्दिर में जरूरी है श्रद्धालुओं की सुरक्षा
अयोध्या में राम मन्दिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से ही भारी भीड़ का जमावड़ा लगना चालू हो गया था। मंगलवार की शाम तक पांच लाख से अधिक श्रद्धालू दर्शन प्राप्त कर चुके थे।
जरूरी है श्रद्धालुओं की सुरक्षा |
भीड़ को देखते हुए सरकार को वीआईपी श्रद्धालुओं से अयोध्या बिना सूचना न आने के निर्देश दिए। एक सप्ताह पहले प्रशासन को इसकी जानकारी दी जाए। मंगलवार को अव्यवस्था के चलते भगदड़ मचने से बचने के लिए कड़ी व्यवस्था करनी पड़ी थी। भीड़ का नियंतण्रव यातायात प्रबंधन में खासी मशक्कत बरती गई।
भक्तों को असुविधा से बचाने के लिए दर्शन पूरी रात अनवरत चल रहे हैं। लंबी-लंबी कतारों में श्रद्धालु घंटों इंतजार कर रहे हैं। भीड़ को देखते हुए वे पतली गलियों, रेल की पटरियों, खेतों के जरिए मंदिर की तरफ बढ़ने लगे जिससे कई बार भीड़ बेकाबू होती भी लगी। भारी मात्रा में पुलिसकर्मियों समेत अन्य सुरक्षा बलों को यहां लगाया गया है।
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का अनुमान था कि प्रति दिन एक से डेढ़ लाख लोग ही दर्शन के लिए आएंगे। मगर पहले ही दिन पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने से व्यवस्था चरमरा गई। आखिर अयोध्या की तरफ जाने वाले तमाम रास्तों को बंद कर दिया गया, जगह-जगह बेरीकेडिंग लगानी पड़ी। भाजपा की योजना देश भर के भक्तों को रामलला के दर्शन कराने की है जो 25 मार्च तक चलनी है। जिस कदर मन्दिर का प्रचार किया गया है, लोगों में जल्दी से जल्दी राम के दर्शन करने की ललक है।
सुरक्षाकर्मियों की भी सीमा है। वे जबरदस्त भीड़ को संभालने में कब तक दिन-रात जुटे रहेंगे। चिंता जताई जा रही है कि अभी श्रद्धालुओं की संख्या इतनी है तो रामनवमी पर क्या होगा। जिन लोगों को जाने से रोका जा रहा है, वे परेशान हैं। उनके ट्रेन के रिजव्रेशन हैं, बसों की एडवांस बुकिंग हैं, और वहां ठहरने के वे पैसे दे चुके हैं।
जाहिर है, इस सारी अव्यवस्था पर जुबानी जमा-खर्च से काम नहीं चलने वाला। सरकार को गंभीरतापूर्वक लंबी प्लानिंग करनी होगी। भीड़ को अनियंत्रित होने में क्षण भर का वक्त लगता है। बढ़ती जनसंख्या और श्रद्धालुओं की भावनाओं को समझते हुए ऐहतियातन फैसले लिए जाने चाहिए। भक्तों में जोश जगाने वालों को ही धैर्य रखने की हिदायत देनी चाहिए ताकि लंबे इंतजार के बाद बने राम बालक मन्दिर की छवि में कोई दाग न लग सके।
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