म्यांमार सीमा पर बाड़बंदी

Last Updated 22 Jan 2024 01:28:46 PM IST

केंद्र सरकार म्यांमार सीमा पर लोगों की मुक्त आवाजाही को बंद करेगी और इसकी पूरी तरह से बाड़बंदी करेगी ताकि बांग्लादेश से लगी सीमा की तरह ही इसकी भी सुरक्षा की जा सके।


म्यांमार सीमा पर बाड़बंदी

असम पुलिस की पांच नवगठित कमांडो बटालियन के प्रथम बैच की नई दिल्ली में ‘पासिंग आउट परेड’ को शनिवार को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह बात कही। गृह मंत्री ने कहा कि सरकार म्यांमार के साथ मुक्त आवाजाही समझौता पर पुनर्विचार कर रही है ताकि मुक्त आवाजाही को रोका जा सके। अभी जो व्यवस्था है, उसके तहत अंतरराष्ट्रीय सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को बिना बीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर अंदर तक आने-जाने की अनुमति प्राप्त है।

भारत के चार राज्य अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम म्यांमार के साथ सीमा साझा करते हैं, और इन राज्यों की  म्यांमार के साथ 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा साझा है। दरअसल, पूर्वोत्तर के राज्य ही नहीं, बल्कि भारत की सीमा नेपाल जैसे देशों के साथ भी सीमा पर आवाजाही निर्बाध रहती है। दोनों देशों के लोग एक दूसरे की सीमा में जाकर हाट-बाजार कर आते हैं, और पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश के साथ सीमा का तो आलम यहां तक है कि मकानों की दीवार तक सीमा तय करती हैं।

ऐसे में अवैध अप्रवासन की समस्या बराबर बनी रहती है, और असम और पश्चिम बंगाल में तो कई विधानसभा क्षेत्रों में तो डमोग्राफिक चरित्र ही बदल चुका है। पूर्वोत्तर में जिस तरह से मणिपुर में खुसपैठियों की समस्या लंबे समय तक अनदेखी रही, उससे आज पूर्वोत्तर के इस राज्य में अराजक हालात हैं। इसलिए जरूरी है कि भारत को अपने तमाम पड़ोसी देशों के साथ लगती सीमाओं पर आम जन की निर्बाध आवाजाही की अनुमति तो सिरे से देनी ही नहीं चाहिए।

जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा और राजस्थान में पाकिस्तान से लगती सीमा पर तारबंदी किए जाने के अच्छे परिणाम मिले हैं और तारबंदी से सुरक्षा बलों को सीमाओं की निगहबानी करने में खासी मदद मिली है। दरअसल, आज का दौर भू-राजनीतिक दुारियों को बढ़ाने वाला समय है, और सीमाओं पर शिथिलता जैसी लापरवाही न केवल सीमाओं, बल्कि आंतरिक हालात को बिगाड़ देने का सबब बन सकती है। वैसे भाजपा-नीत सरकार में जम्मू-कश्मीर, नक्सली प्रभावित इलाकों और पूर्वोत्तर में हिंसा की घटनाओं में 73 फीसद कमी आई है, और इस सुखद प्रगति के लिए बेशक, मोदी सरकार श्रेय की पात्र है।



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