शिक्षा में सुधार की पहल, कोचिंग सेंटरों को दिशा-निर्देश जारी
शिक्षा मंत्रालय की तरफ से देश भर के कोचिंग सेंटरों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनका उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाया जाएगा।
शिक्षा में सुधार की पहल |
इसके बावजूद नियमों को न मनने वाले कोचिंग सेंटरों का पंजीकरण रद्द भी किया जा सकता है। मंत्रालय द्वारा तेजी से फैलते निजी कोचिंग कॉलेजों के फैलते जाल को कानूनी ढांचे के अंतर्गत लाने का प्रयास है। छात्रों की आत्महत्याओं के बढ़ते मामले, आग की घटनाओं, सुविधाओं की कमी व शिक्षण पद्धति पर आ रही लगातार शिकायतों के बाद इसे तैयार किया है।
कोचिंग संस्थानों को छात्रों के नामांकन के लिए भ्रामक वादे, रैंक या अच्छे अंकों की गारंटी नहीं दे सकते। साथ ही छात्रों को वहां पढ़ा रहे शिक्षकों को उचित तौर पर शिक्षित होना जरूरी है, जिसकी पूरी जानकारी संस्थान की बेवसाइट पर मौजूद होनी चाहिए। प्राथमिक चिकित्सा किट, चिकित्सा सहायता/उपचार सुविधा सुविधा भी होनी चाहिए।
अग्नि सुरक्षा कोड, भवन सुरक्षा व पीने का पानी, सीसीटीवी आदि लगे होने जरूरी हैं। बढ़ती प्रतिस्पर्धा व शैक्षणिक दबावों के चलते छात्रों पर इस कोचिंग सेंटरों द्वारा अनावश्यक प्रेशर डाला जाता है। इन्हें मानसिक तौर पर आराम नहीं करने दिया जाता। नतीजतन छात्र गहरे तनाव व अवसाद के शिकार हो जाते हैं।
बीते एक साल में सबसे ज्यादा कोचिंग में पढ़ने वाले छात्रों ने खुदकुशी की, जिसे देखते हुए सरकार पर दबाव बना। कोचिंग सेंटरों पर शुल्क को लेकर भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। मां-बाप बहुत अच्छे शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए प्रतियोगिताओं में अव्वल आने के लोभ में कम उम्र में बच्चों को कोचिंग कराना चालू कर देते हैं। इसीलिए सोलह साल की उम्र सरकार द्वारा तय की गई है और गलत आयु बताने या सही उम्र छिपाने पर भी सख्ती की है।
हालांकि अभी भी टय़ूशन केंद्रों पर कोई टिप्पणी नहीं किया जाना, अखरता है। देश भर में स्कूली पढ़ाई को इतना दुरुस्त बनाया जाए कि छात्रों पर टय़ूशन का अतिरिक्त दबाव ना रहे। वे कुछ समय खेलों व शारीरिक गतिविधियों को भी दे सकें। साथ ही इन कोचिंग सेंटरों व स्कूलों की फीस की भी सीमा तय की जाए। निजी शिक्षण संस्थानों में पढ़ाना पालकों की मजबूरी है, उसका फायदा उठाने वालों की लगाम सरकार को ही कसनी होगी।
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