कॉलेजियम पर सवाल
कॉलेजियम लगातार विमर्श के केंद्र में है। आलम यह है कि किसी महीने सत्ता पक्ष इस पर सवाल न भी करे तो भी न्यायिक व्यवस्था से जुड़े या इसका वर्षो तक हिस्सा रहे कोई न्यायमूर्ति रिटायर होते ही कॉलेजियम पर उंगली उठा देते हैं।
कॉलेजियम पर सवाल |
इस तरह से सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के चयन की व्यवस्था के रूप में 1993 से जारी कॉलेजियम किसी न किसी स्तर पर जिंदा हो जाता है। इसके तहत न्यायाधीशों की समिति अपनी संस्थाओं के लिए योग्य न्यायाधीशों का चुनाव करती है। सरकार का दखल इतना ही है कि वह अपने पास भेजी सूची पर नोटिफिकेशन जारी कर देती है। ‘अनुकूल’ नाम न होने पर की गई देरी पर सुप्रीम कोर्ट सरकार को चेतावनी भी देता है। सरकार को मुहर लगाने वाली यह ‘पोस्टमास्टरी’ व्यवस्था पसंद नहीं है।
वह इसमें संविधान के आधार पर अपना दखल चाहती है। इसके तहत व्यवस्था है कि राष्ट्रपति सुप्रीम एवं हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों की सलाह पर दोनों न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति करेंगे। सो, वह कॉलेजियम को एक प्रकार से संविधानेतर व्यवस्था मानती है। लिहाजा, इस पर कभी तत्कालीन कानून मंत्री किरण रीजिजू तो अब उपराष्ट्रपति धनखड़ विरोध व्यक्त करने लगते हैं। इनका मानना है कि जज ही जज को कैसे नियुक्त कर सकता है? यह दोषपूर्ण व्यवस्था है।
खुद देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ मानते रहे हैं कि इसमें खामी है और यह फूलप्रूफ नहीं होती। इस लिहाजन, कॉलेजियम फिर भी अच्छी व्यवस्था है। इसे लेकर वे देश-विदेश के अपने दौरों में भी मुखर रहते हैं और विस्तार से उसकी विशेषताएं बताते हैं। सरकार के भाई-भतीजावाद के आरोपों के उत्तर में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ न्यायाधीश चयन के चार मानकों योग्यता, वरिष्ठता, समावेशन एवं हाईकोर्ट के प्रतिनिधित्व पर विचार की बात बताते हैं। यह युक्तिसंगत भी लगता है।
फिर भी उन्होंने अपनी तरफ से एक अनुसंधान प्रकोष्ठ बनाया है, जिसमें चयनित 50 न्यायाधीशों की स्क्रूटनी किए जाने की बात करते हैं। इन सब पारदर्शी प्रक्रियाओं के बावजूद वे मानते हैं कि इसमें परिमार्जन की गुंजाइश है तो दूसरी तरफ इसे बनाए रखने की भी हिमायत करते हैं। तो क्या यह सरकार के दबाव को एक स्पेस देने से भर से ठीक हो जाएगा? कॉलेजियम के निशाने पर होने से इस बात की संभावना लगती है कि देर-सबेर यह व्यवस्था नहीं रहेगी या फिर वह प्रक्रिया ऐसी होगी, जिसमें सरकार होगी।
Tweet |