अतिरेक से बचा जाए

Last Updated 16 Dec 2023 01:40:54 PM IST

मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि व ईदगाह मस्जिद विवाद का सर्वे कोर्ट कमिश्नर द्वारा किया जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया है। यह सर्वे कब शुरू होगा, उसमें कौन और कितने वकील शामिल होंगे, ये सब मुद्दे अगली सुनवाई में तय होंगे।


अतिरेक से बचा जाए

मथुरा विवाद से जुड़ीं 18 याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है। ईदगाह पक्ष ने भी प्रार्थनापत्र दिया है, उसका कहना है वाद पोषणीय नहीं है। अत: सुनवाई लायक नहीं है। इसके विरोध में जरूरी तर्क और साक्ष्य भी अदालत में पेश किये जाएंगे। यह मामला पूजा स्थल अधिनियम 1991 पर टिका है, जो तत्कालीन नरसिंहा राव सरकार लायी थी। इसमें स्पष्ट है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी पूजा स्थल को दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता।

हालांकि इसमें भी रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को अलग रखा गया था। अयोध्या में राम मंदिर बनने के अदालती आदेशों के बाद से भक्तों के हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं। मुगल आक्रांताओं द्वारा मंदिरों को ध्वस्त करवा कर, उन स्थानों पर मस्जिदों का निर्माण कराने के आरोप लगाने वाले बहुसंख्यक मुखर रूप से विरोध पर उतारू हैं। यह लंबी बहस है, जिसमें बहुसंख्यक देशवासियों की भावनाएं भी शामिल हैं। मगर वे इतिहासकारों की राय को अपने अनुरूप तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं।

ध्यान रखें कि हम सहिष्णु और सर्वधर्म का सम्मान करने वाली व्यवस्था हैं। संविधान के अनुसार भारत धर्म व पंथ निरपेक्ष राज्य है। जो सभी धर्मों के प्रति तटस्थता व निष्पक्षता का भाव रखता है। सर्वे के आदेशों से उत्साहित वर्ग को ख्याल रखना होगा कि अदालत दोनों पक्षों के तकोर्ं व साक्ष्यों का सम्मान करेगी। वास्तव में धार्मिक स्थलों पर दावों के मामले उतने आसान नहीं हैं, जितने जताए जा रहे हैं।

धार्मिक झगड़ों व उन्माद से देश की जनता को मुक्त रखना और शांति का माहौल बनाये रखना सरकार की जिम्मेदारी है। वैश्विक जगत में देश की छवि जिस तरह शीर्ष की तरफ अग्रसर है, उसमें विवादों से क्षति पहुंच सकती है। चूंकि मामला अदालत के अधीन है, इसलिए सभी वर्गों को उसकी प्रक्रिया एवं उसके फैसलों का सम्मान करना होगा,यह ध्यान रखते कि दूसरे पक्ष की भावनाएं आहत न हों।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment